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कोरोनाकाल में गोबर के दीये बने घरेलू महिलाओं के लिए आशा की किरण, स्वरोजगार से जुड़ीं तो मिला 60 हजार का ऑर्डर

रिसाली निगम के शहरी आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं छोटे-छोटे स्व सहायता समूह बनाकर अपने हुनर को तराश रही हैं।

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दुर्ग

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Dakshi Sahu

Oct 19, 2020

कोरोनाकाल में गोबर के दीये बने घरेलू महिलाओं के लिए आशा की किरण, स्वरोजगार से जुड़ीं तो मिला 60 हजार का ऑर्डर

कोरोनाकाल में गोबर के दीये बने घरेलू महिलाओं के लिए आशा की किरण, स्वरोजगार से जुड़ीं तो मिला 60 हजार का ऑर्डर,कोरोनाकाल में गोबर के दीये बने घरेलू महिलाओं के लिए आशा की किरण, स्वरोजगार से जुड़ीं तो मिला 60 हजार का ऑर्डर,कोरोनाकाल में गोबर के दीये बने घरेलू महिलाओं के लिए आशा की किरण, स्वरोजगार से जुड़ीं तो मिला 60 हजार का ऑर्डर

भिलाई. कोरोनाकाल में शहरी क्षेत्र की जरूरतमंद महिलाओं ने गोबर के दीयों को स्वरोजगार का जरिया बनाया है। कुछ न करने से बेहतर कुछ करने की सोच लेकर आगे बढ़ीं तो उन्हें एक दो नहीं बल्कि 60 हजार दीये बनाने का ऑर्डर मिल गया। ये कहानी है रिसाली निगम के वार्ड 60 की। जहां रिसाली निगम के शहरी आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं छोटे-छोटे स्व सहायता समूह बनाकर अपने हुनर को तराश रही हैं। इस्पात नगर के गणेश पंडाल भवन में रोजाना महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग बीच दीये बनाने का प्रशिक्षण लेकर गोबर को बड़ी खूबसूरती से सांचे में ढालना सीख रही हैं।

मिला है 60 हजार दीये बनाने का ऑर्डर
रिसाली नगर निगम के एल्डरमेन अनूप डे ने बताया कि दीये बनाने की शुरुआत चंद महिलाओं से तीन दिन पहले हुई थी। धीरे-धीरे यहां सैकड़ों महिलाएं पंजीयन कराकर पहुंचने लगी हैं। फिलहाल 12 से ज्यादा स्व-सहायता समूह गोबर के दीये बनाने के कार्य में जुटी हैं। इन्हें दिवाली तक 60 हजार दीये बनाने का ऑर्डर भी मिल गया है। दीये के बाद धीरे-धीरे जूट के बैग और अन्य सामान बनाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाएगा।

गौठानों से पहुंच रहा गोबर
महिलाओं को दीये बनाने का प्रशिक्षण देने वाली सिटी मैनेजर आयशा आनंद बघेल और समाज सेविका टोकेश्वरी गजपाल ने बताया कि दीये बनाने को लेकर महिलाओं का उत्साह देखने लायक है। गौठानों से लाए गए गोबर में काली मिट्टी मिलाकर उसे दीये की आकृति दी जा रही है। ये दीये बाजार में मिलने वाले ऑर्टिफिशयल दीयों से कहीं ज्यादा बेहतर और ईको फ्रेंडली भी हैं।