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राहुल गांधी के सवाल पर रघुराम राजन, गरीबों को डायरेक्ट ट्रांसफर करने होंगे 65 हजार करोड़

अर्थव्यवस्था को खोलने के सवाल पर उन्होने कहा कि अगर आप सोचते हैं कि 0 केस होने पर इकोनॉमी को खोलना सही होगा तो ये असंभव है ।

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RAGHURAM RAJAN WITH RAHUL GANDHI

RAGHURAM RAJAN WITH RAHUL GANDHI

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते पूरी ग्लोबल अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी दशकों पीछे चली गई है। देश में जबकि अर्थव्यवस्था का कामकाज रुका पड़ा है और GDP एकदम रूकी पड़ी है तो ऐसे में अर्थव्यवस्था के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने rbi के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से बात की और उनसे इन समस्याओं के हल पर विस्तार से चर्चा की ।

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व रघुराम राजन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस वक्त गरीबों की मदद करना जरूरी है, जिसके लिए सरकार को कम से कम 65 हजार करोड़ रुपये गरीबों के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर करने होंगे । नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत अपनी जगह बना सकती है। शक्तिहीन लोगों को शक्तिशाली नेता अच्छा लगता है, हम एक विभाजित समाज के साथ कहीं नहीं पहुंच सकते हैं।

करना होगा अवसरों का सही वितरण

रघुराम राजन का कहना है कि इस वक्त हेल्थ केयर फैसिलिटी और जॉब क्रिएय करने की जरूरत है। वीडियो कांफ्रेसिंग से हुई इस बात-चीत में राजन ने माना कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में कुछ गड़बड़ है। उन्होने कहा कि फिलहाल लोगों के पास नौकरी नहीं है, जिनके पास नौकरी है उनको आगे की चिंता है। आय का वितरण असमान है । हमें अब आय नहीं बल्कि अवसरों का सही वितरण करना होगा ।

कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन और उससे अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के सवाल पर राजन का कहना है कि भारतीय और अमेरिन इकोनॉमी में काफी अंतर है । कोरोना को हराने के साथ-साथ हमें आम लोगों के रोजगार के बारे में सोचना होगा, इसके लिए वर्कप्लेस को सुरक्षित करना जरूरी है। वहीं अर्थव्यवस्था को खोलने के सवाल पर उन्होने कहा कि अगर आप सोचते हैं कि 0 केस होने पर इकोनॉमी को खोलना सही होगा तो ये असंभव है । वहीं दूसरे लॉकडाउन को लागू करने का मतलब है कि आपके पास इकोनॉमी को खोलने को लेकर कोई प्लान नहीं है।

भारत के लिए मौका है कोरोना-

रघुराम राजन ने कहा कि हमें जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था को खोलने की ओर कदम बढ़ाना होगा, क्योंकि हमारे पास दूसरे देशों की तरह अच्छी व्यवस्था नहीं है। इस तरह की घटनाएं वैसे तो कम ही अच्छा प्रभाव डालती हैं, लेकिन भारत के लिए ये मौका है कि वह अपनी इंडस्ट्री को दुनिया तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि जो आंकड़े हैं चिंता पैदा करने वाले हैं, सीएमआईई ने कहा कि 10 करोड़ लोग वर्कफोर्स से बाहर हो जाएंगे, हमें बड़े कदम उठाने होंगे।