कुछ इस तरह के हैं सर्वे के परिणाम
– सर्वे में 300 से अधिक सीईओ ने हिस्सा लिया, जिसमें से दो-तिहाई एमएसएमई से संबंध रखते हैं।
– लगभग 45 फीसदी के अनुसार लॉकडाउन के बाद आर्थिक रिकवरी में एक साल से अधिक का समय लग सकता है।
– लगभग 36.5 फीसदी कॉरपोरेट प्रमुखों के अनुसार आर्थिक रिकवरी में छह से 12 महीने लग सकते हैं।
– लगभग 17 फीसदी के अनुसार रिकवरी तीन से छह महीनों में हो जाएगी।
– 1.8 फीसदी की मानें तो आर्थिक रिकवरी को तीन महीनों की जरूरत है।
– 34 फीसदी के अनुसार उनकी कंपनियों की रिकवरी में छह से 12 महीने लगेंगे।
– लॉकडाउन के बाद घरेलू मांग की स्थिति सामान्य होने में छह से 12 महीने लगेंगे।
यह भी हैं कुछ आंकड़े
– आर्थिक गतिविधि बंद होने से 65 फीसदी फीसदी कंपनियों को राजस्व में अप्रैल-जून तिमाही में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट की आशंका है।
– वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए 33 फीसदी कंपनियों को राजस्व में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट की आशंका है।
– 32 फीसदी कंपनियों को राजस्व में 20 से 40 फीसदी गिरावट की आशंका है।
– नौकरी और आजीविका के मोर्चे पर 54 फीसदी को लगता है कि लॉकडाउन समाप्त होने पर नौकरियां जाएंगी।
– 45 प्रतिशत प्रतिभागियों को 15 से 30 फीसदी नौकरियां खत्म होने का अनुमान है।
क्या कहते के सीआईआई के महानिदेशक
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी के अनुसार आबादी पर कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी था, लेकिन आर्थिक गतिविधि पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इस घड़ी में उद्योग आर्थिक पुनर्जीवन और आजीविका बचाने के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज का इंतजार कर रहे हैं। आपको बता दें कि सीआईआई की ओर से सरकार को कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। उन्होंने कहा है कि देश में कई ऐसे जिले हैं जो आर्थिक दृष्टिकोण से काफी मजबूत है और उनकी उत्पादन क्षमता भी अच्छी है। ऐसे में उन जिलों को चिह्नित कर वहां पर काम शुरू किया जाना जरूरी है।