खाने के तेल की कीमत में इजाफा
खाने का तेल | अप्रैल 2020 में दाम | अप्रैल 2021 में दाम |
सरसो का तेल | 100 | 140 |
पाम ऑयल | 80 | 132 |
सुरजमुखी ऑयल | 100 | 165 |
मूंगफली का तेल | 120 | 160 |
सोया ऑयल | 95 | 145 |
खाने के तेल में तेजी जारी
सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल के अनुसार खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपए किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।
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दालों की कीमत में भी इजाफा
खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढऩे से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया।
तीन हफ्तों में फलों की कीमत में इजाफा
फलों के नाम | 16 मार्च को कीमत | 8 अप्रैल को कीमत |
सेब | 150-190 | 200-240 |
नारंगी | 80 | 100 |
अंगूर | 100-150 | 120-180 |
पपीता | 40 | 60 |
अमरूद | 130 | 150 |
अन्नास | 100-120 | 150-180 |
आम | 100 | 120 |
सब्जियां सस्ती तो फल हुए महंगे
सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है।