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20 साल पुराने मामले में मुकेश और अनिल अंबानी समेत 11 लोगों पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना

Published: Apr 08, 2021 12:07:19 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

सेबी ने रिलायंस इडस्ट्रीज के जुड़े इक्विटी एक्विजिशन के मामले में मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और परिवार के अन्य सदस्यों पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह पूरा मामला वर्ष 2000 का है।

Fined Rs 25 crore on Mukesh and Anil Ambani including 11 people

Fined Rs 25 crore on Mukesh and Anil Ambani including 11 people

नई दिल्ली। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से करीब 20 साल पुराने मामले में अंबानी बंधुओं समेत कुल 11 लोगों पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वर्ष 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े मामले में अधिग्रहण नियमों का पालन ना करने को लगाया गया है। यह जुर्माना मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के अलावा नीता अंबानी, टीना अंबानी के साथ घर के और लोगों पर भी लगाया गया है। सेबी के 85 पन्नों का आदेश जारी करते हुए कहा कि आरआईएल के प्रमोटर्स और पीएसी साल 2000 में कंपनी में 5 फीसदी से अधिक के अधिग्रहण के बारे में खुलासा करने में विफल रहे। मुकेश और अनिल कारोबार का बंटवारा कर 2005 में अलग हो गए थे।

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आखिर क्या है मामला
सेबी के आदेश के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमोटर्स ने 2000 में कंपनी में 6.83 फीसदी की हिस्सेदारी का एक्विजिशन किया था। यह एक्विजिशन 1994 में जारी 3 करोड़ वारंट को परिवर्तित करके हुआ था। आरआईएल प्रमोटर्स ने पीएसी के साथ गैर-परिवर्तनीय सुरक्षित विमोच्य डिबेंचर से संबद्ध वारंट को शेयर में बदलने के विकल्प का उपयोग कर 6.83 फीसदी हिस्सेदारी का एक्विजिशन किया। यह एक्विजिशन नियमन के तहत निर्धारित 5 फीसदी की लिमिट से ज्यादा था। आदेश के इस मामले में उन्हें सात जनवरी, 2000 को शेयर अधिग्रहण की सार्वजनिक तौर पर घोषणा करने की जरूरत थी। पीएसी को 1994 में जारी वारंट के आधार पर इसी तारीख को आरआईएल के इक्विटी शेयर आबंटित किए गए थे।

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नहीं की घोषणा
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि प्रमोटर्स और और पीएसी ने शेयर अधिग्रहण के बारे में कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की है। जिसके बाद उन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है। सेबी के नियमों के अनुसार प्रमोटर ग्रुप ने किसी भी वित्त वर्ष में 5 फीसदी से अधिक वोटिंग अधिकार का अधिग्रहण किया है, उसके लिए जरूरी है कि वह अल्पांश शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश करे। सेबी ने कहा कि संबंधित लोगों और यूनिट्स को को जुर्माना संयुक्त रूप से और अलग-अलग देना है।

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