
वित्त मंत्रालय ने कालेधन को लेकर रिपोर्ट को साझा करने से किया इंकार
नई दिल्ली।वित्त मंत्रालय की आेर से कालेधन को लेकर रिपोर्ट को लेकर बड़ा बयान आया है। मंत्रालय की आेर से साफ कर दिया गया है कि कालेधन को लेकर किसी तरह की कोर्इ रिपोर्ट को साझा नहीं करेगा। मंत्रालय का मानना है कि एेसा करने से संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन होगा। मंत्रालय के अनुसार से रिपोर्ट देश और विदेश में भारतीयों के पास मौजूद कालेधन के बारे में हैं।
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यूपीए सरकार की आेर से कराया गया था सर्वे
वास्तव में 2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने दिल्ली के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च और राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान फरीदाबाद से ये अध्ययन कराए गए थे। आरटीआर्इ से मिली जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन तीनों एजेंसियों की रिपोर्ट 30 दिसंबर, 2013, 18 जुलाई, 2014 और 21 अगस्त, 2014 को मिली थीं। जिनके बारे में कोर्इ जानकारी देना संभव नहीं है। मंत्रालय ने इस मामले को स्थार्इ समिति सामने रख दिया है। अब समिति ही इस बारे में कोर्इ बात कर सकती है। या कोर्इ जानकारी के देने में सक्षम हैं।
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इस धारा के तहत नहीं कर सकते हैं खुलासा
गौरतलब है कि संसद की समिति में मामला जाने के बाद आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (सी) के तहत इस तरह की सूचना का खुलासा नहीं करने की छूट है। इस धारा के तहत उन सूचनाओं का खुलासा करने पर रोक है जिनसे संसद के विशेषाधिकार का हनन होता हो।
नहीं है कोर्इ आधिकारिक आंकड़ा
फिलहाल देश और विदेश में भारतीयों के कालेधन का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी के एक अध्ययन के अनुसार 2005 से 2014 के दौरान भारत में अनुमानत: 770 अरब डॉलर का कालाधन आया। इस अवधि में देश से 165 अरब डॉलर का कालाधन बाहर गया।
Published on:
23 Jul 2018 05:52 pm
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