सीजीए ने जारी किया आंकड़ा
वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीने में ही सरकार का राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। सीजीए ( Controller General of Accounts ) के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के शुरूआती दो महीनों में ही सरकार के एक्सपेंडिचर ज्यादा हो गए हैं। बजट आने से कुछ दिन पहले ही सीजीए के द्वारा ये आंकड़ा जारी किया गया है।
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क्या होता है राजकोषीय घाटा
आपको बता दें कि एक्सपेंडिचर और रेवेन्यू के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। अगर एक्सपेंडिचर की राशि रेवेन्यू की राशि से अधिक तो राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है। एक साल पहले यह आंकड़ा 55.3 फीसदी था। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के शुरुआती दो महीनों अप्रैल और मई में खर्च और राजस्व के बीच 3,66,157 करोड़ रुपये का अंतर है।
अंतरिम बजट में सरकार ने घोषणा की
मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट ( Interim budget ) में एलान करते हुए कहा था कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 7.03 लाख करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का 3.4 फीसदी है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.4 फीसदी के स्तर पर रखने का लक्ष्य रखा था जो पिछले साल के लक्ष्य के ही बराबर है। इस साल सरकार का पूंजीगत खर्च भी पहले की तुलना में कम हो गया है।