
नई दिल्ली। दुनिया की आर्थिक एजेंसियों में एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की आर्थिक वृद्घि पर चिंता जताई है। संस्था ने इस कमजोरी का प्रमुख कारण कॉर्पोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता और कुछ एनबीएफ कंपनियों की कमजोरियों को बताया है। इसलिए भारत की आर्थिक वृद्घि उम्मीद से कुछ ज्यादा ही कमजोर कताया है।
वहीं दूसरी ओर आईएमएफ कहा है कि भले ही भारत की आर्थिक दर कमजोर हो इसके बावजूद भी भारत चीन से बहुत आगे दिखाई दे रहा है। वहीं विश्व की सबसे तेजी से विकास करने वाली बड़ी अर्थव्यस्था बना रहेगा। आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस के अनुसार हम नए आंकड़े पेश करेंगे लेकिन खासकर कॉर्पोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों के कारण भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि उम्मीद से काफी कमजोर है।
आपको बता दें कि दुनिया भर की आर्थिक एजेंसिया भारत की आर्थिक दर की रेटिंग को नीचे कर रही हैं। मूडीज, वल्र्ड बैंक और आरबीआई के आंकड़ों से साफ जाहिर हो रहा है कि देश की इकोनॉमी की हालत ठीक नहीं है। हाल ही आरबीआई ने तिमाही की आर्थिक वृद्घि दर 5 बताई थी। वहीं मूडीज ने रेटिंग को घटाते हुए देश की आर्थिक दर अनुमान 6.9 फीसदी से 6.3 फीसदी कर दिया था।
Published on:
13 Sept 2019 10:37 am
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