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Indo-Sino Tashan में कहीं डूब ना जाए 6 लाख करोड़ का कारोबार

दोनों देशों के बीच करीब 6 लाख करोड़ रुपए का होता है Import और Export भारत को Import के मुकाबले में 4 गुना Export करता है चीन, जुड़ा है बड़ा करोबार

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Indo Sino Trade

India sino bilateral trade 6 lakh cr, both countries highly dependable

नई दिल्ली। इंडो-शीनो विवाद ( Indo Sino Dispute ) कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लद्दाख बॉर्डर ( Ladakh Border ) पर दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई। जिसमें भारतीय के ऑफिसर समेत तीन जवान शहीद हो गए। आने वाले दिनों में यही सिलसिला जारी रहा तो दोनों देशों के बीच कारोबार भी काफी प्रभावित होगा। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच करीब 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार होता है। वहीं जितना चीन भारत पर निर्भर है, उतना ही भारत और भारत में रहने वाले लोन भी भी चीन पर निर्भर करते हैं। इस तनाव में भारत और चीन ( Indo Sino Trade ) दोनों को कितना नुकसान हो सकता है आइए आपको भी बताते हैं।

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बिगड़ा हुआ है इंडो-शीनो के ट्रेड बैलेंस
इंडो-शीनों ट्रेड सालाना 6 लाख करोड़ रुपए का कारोबार है। भारत सालाना करीब 4.9 लाख करोड़ रुपए का चीन से आयात करता है। वहीं चीन को भारत से 1.2 लाख करोड़ का निर्यात होता है। इन आंकड़ों से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देशों के बीच ट्रेड बैलेंस कितना बिगड़ा हुआ है। वहीं यह भी समझ में आता है कि चीन के लिए भारतीय बाजार कितना महत्वपूर्ण है। ऐसे में भारत के किसी भी तरह का वॉर भारत और चीन के लिए अच्छा नहीं है।

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आयात और निर्यात का गणित
भात ने चीन को अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 के बीच 14.42 अरब डॉलर का निर्यात किया, इसके विपरीत समान अवधि में से कुल 57.93 अरब डॉलर का आयात किया है। मौजूदा साल में कोराना की वजह से यह गणित थोड़ा बिगड़ा जरूर है। मार्च के आखिरी सप्ताह में लॉकडाउन का आदेश हुआ। जनवरी फरवरी में चीन से भारत को 9.5 अरब डॉलर का सामान आया था। जबकि भारत ने चीन को 2.5 अरब डॉलर का सामान भेजा था। कोरोना की वजह से बीते साल की तुलना में करीब 11-12 फीसदी देखने को मिली है।

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चीन पर काफी निर्भर करते है भारतीय सेक्टर
बल्क ड्रग्स ऐंड इंटरमीडियरीज सेक्टर की 68 फीसदी निर्भरता चीन से आयात पर टिकी है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स में 43 फीसदी, गारमेंट्स में 27 फीसदी और ऑटो सेक्टर में 9 फीसदी डिपेंडेंसी चीन से होने वाले इंपोर्ट पर है।

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बढ़ सकती है भारतीयों के मुश्किलें
देश में चीनी कंपनियों ने काफी पैसा इंवेस्ट किया हुआ है। अगर चीन अपना रुपया निकाल लेता है तो भारतीय कारोबारियों के लिए मुश्किलें ख्खड़ी हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2014 में चीनी कंपनियों का भारत में 12 हजार करोड़ का निवेश था। जो बीते 6 सालों ने पांच गुना बढ़ कर 60 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। वहीं चीन ने सिंगापुर के रास्ते भी भारत में बड़ा निवेश किया है।

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चीन का इंडियन स्टार्टअप्स में निवेश
- साल 2018 में भारतीय स्टार्टअप्स में चीन का निवेश 15 हजार करोड़ था।
- 2019 में बढ़ कर 29 हजार करोड़ हुआ चीनी निवेश।
- भारत की 30 बड़ी स्टार्टअप कंपनियों में से 18 में चीनी निवेश।

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चीनी कंपनियों का भारतीय कंपनियों में निवेश
- टेंशेट ने भारत की 19 कंपनियों में निवेश।
- शुनवाई कैपिटल ने 16 कंपनियों में इंवेस्टमेंट।
- स्वास्तिका का 10 कंपनियों में निवेश।
- शाओमी 8 कंपनियों में निवेश।
- फोसुन आरजेड कैपिटल का 6 कंपनियों में निवेश।
- हिलहाउस कैपिटल ग्रुप का 5 कंपनियों में निवेश।
- एनजीपी कैपिटल का 4 कंपनियों में निवेश।
- अलीबाबा ग्रुप का 3 कंपनियों में निवेश।
-ऐक्सिस कैपिटल पार्टनर्स 3 कंपनियों में निवेश।
- बी ऐस ने 3 कंपनियों में निवेश।

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इन सामानों पर भी है इंडियन मार्केट में चीनी कब्जा
- इंडियन स्मार्टफोन मार्केट करीब 2 लाख करोड़ रुपए का है।
- चीनी ब्रांड के मोबाइल फोन्स की इंडियन र्मार्केट में हिस्सेदारी 70 फीसदी से ज्यादा।
- 25 हजार करोड़ के टीवी मार्केट में चाइनीज बांड का 45 फीसदी तक हिस्सेदारी।
- भारत का भ्होम अप्लायंस मार्केट 50 हजार करोड़ का और चीनी भागेदारी 10-12 फीसदी।
- इंडियन ऑटो कंपोनेंट का 43 लाख करोड़ का और चीनी कंपोटेंट की हिस्सेदारी 26 फीसदी है।
- भारत में फॉर्मा मार्केट 1.5 लाख करोड़ का और चीनी हिस्सेदारी 60 फीसदी।
- भारत में सोलर पॉवर क्षमता है 37,916 मेगावॉट है जिसमें 90 फीसदी भागेदारी चीनी कंपोनेंट की है।
- भारत का टेलिकॉम इक्विपमेंट मार्केट 12 हजार करोड़ का है, जिसमें चीनी प्रोडक्ट की शेयरिंग 25 फीसदी है।