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नई दिल्ली: 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन ( lockdown ) लागू हो गया है। यानि 21 दिनों तक पूरे देश मे सार्वजनिक परिवहन सेवा, निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र के ऑफिस, बाजार, मॉल, अन्य कामर्शियल गतिविधियां पूरी तरह से बंद रहेंगी। हालांकि सरकार ने कहा है कि जरूरी चीजों की सप्लाई होती रहेगी, लेकिन सवाल ये उठता है कि एक ऐसा देश जहां 94 फीसदी कामगार असंगठित क्षेत्र से आते हैं।
इस बात को दूसरे शब्दों में ऐसे समझें कि हमारे देश में लगभग 40 करोड़ लोग दैनिक मजदूरी पर निर्भर करते हैं। ये 21 दिन ऐसे ही लोगों के लिए सबसे मुश्किल भरे होने वाले हैं । क्योंकि 21 दिनों के लिए इनकी रोजी-रोटी ठप्प हो चुकी है। सरकार इन तक जरूरी सामान कैसे पहुंचाएंगी। हालांकि श्रम मंत्रालय ने नोटिस जारी कर सभी कारोबारियों से अपने यहां काम करने वाले ऐसे लोगों को नौकरी से न निकालने और उनकी सैलरी न काटने का निर्देश दिया है।
केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से की गई घोषणाएं-
पूरे देश में ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकारे सामने आ रही है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना होगा । और अगले 21 दिनों में जमाखोरी और कालाबाजारी न हो इसके लिए जरुरी है कि सरकार सेना को भी राहत कार्यों में शामिल करें । साथ ही 4500 रुपए का कोरोना टेस्ट एक गरीब के लिए काफी महंगा साबित हो सकता है ऐसे में सरकार को इस ओर भी तत्काल ध्यान दे की जरूरत है। बाकी कोरोना को हराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए लॉकडाउन के फैसले का कमोबेश सभी समर्थन कर रहे हैं क्योंकि पॉपुलेशन को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे बड़ा हथियार है।
Updated on:
26 Mar 2020 11:06 am
Published on:
26 Mar 2020 11:05 am
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