
जीडीपी से लेकर महंगाई तक, जाने उम्मीदाें पर कितनी खरी उतरी सरकार
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2014 के बाद सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार आर्थिक मोर्चे पर अपने प्रो-रिफाॅर्म के लिए भी जानी जाएगी। बात चाहें नोटबंदी की हो जीएसटी की, या फिर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हो या आधार कार्ड की। हां आप जरूर इस बात का दावा कर सकते हैं कि मोदी सरकार की कई योजनाएं डाॅ मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की भी हैं। जीएसटी और नोटबंदी के अलावा नरेन्द्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था के लिहाज से कई बड़े फैसले भी लिए। बैकिंग सेक्टर में कर्ज फ्राॅड के लिए दिवालिया कानून और कई फ्लैगशिप योजनाओं पर मिल रहे सब्सिडी को बिचैलिए द्वारा लूट रोकने की बात हो, मोदी सरकार ने कई कड़े कदम बेहिचक उठाए। हालांकि सरकार को कोई बड़े मोर्चे पर फेल होते भी देखा गया, आलोचनाएं भी हुई। मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर, सरकार की नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है, ये बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते है कि इस मोर्चे पर मोदी सरकार कितना पास और कितना फेल हुई है।
रुपया - भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआइ) के आंकड़ों के मुताबिक बीते चार साल में डाॅलर के मुकाबले रुपए में 16 फीसदी यानी करीब 10 रुपए की कमजोरी आई इै। कुछ ब्रोकरेज फर्म्स इस बात की भी उम्मीद करते हैं कि जल्द ही डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपया 70 के पार जा सकता है। एडलवाइज सेक्योरिटी के मुताबिक, हम अमरीकी डाॅलर के मुकाबले रुपया तेजी से 70 के करीब बढ़ रहा है और बहुत जल्दी ही इस आंकड़े को पार कर सकता है। इससे आंशिक रुप से गतिशीलता को समायोजित किया जाएगा लेकिन बाद में आर्थिक सुधार भी होगा।
शेयर बाजार - नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बननेे के बाद से घरेलू शेयर बाजार सेंसेक्स और निफ़्टी में करीब 40 फीसदी की तेजी देखने को मिला है। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स जो कि 26 मई 2014 को 24,718 के स्तर पर था, वो 25 मई को खत्म हुए अपने पिछले कारोबारी सत्र में 34,925 के स्तर पर पहुंच गया है। चार साल के इस अवधि में सेंसेक्स ने इस साल जनवरी में ही 36,344 के अपने उच्चतम स्तर पर छुआ। वहीं निफ़्टी ने भी अपने इतिहास में 10,000 के जादुई आंकड़े को पार किया। इसी दौरान बीएसई के मिडकैप और स्माॅलकैप के शेयरों में 90 फीसदी की तेजी देखी गई।
मुद्रास्फिति-भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, महंगाई दर मई 2014 के 8.48 फीसदी से कम होकर अप्रैल माह तक 4.58 के स्तर पर आ गया है। पिछले चार साल के दौरान ये आंकड़ा न्यूनतम 1.46 फीसदी को पिछले साल जून में छुआ। कई जानकारों का मानना है कि तेल के बढ़ते दाम का असर अन्य क्षेत्रों पर पड़ेगा और इससे महंगाई दर भी बढ़ेगी।
एनपीए- फंसा हुआ कर्ज पिछले चार साल से मोदी सरकार के लिए का बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। दिसंबर 2018 तक देश के पब्लिक सेक्टर पर 7.8 लाख करोड़ रुपए का एनपीए बोझ है जबकि जून 2014 में ये अांकड़ा केवल 2.4 लाख करोड़ रुपए था। वहीं इस अवधि में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने भी एनपीए में काफी बढ़ोतरी दर्ज की है। प्राइवेट सेक्टर उधारकर्ता समेत कुल 25 बैंकों ने वित्त वर्ष 2018 के अंतिम तिमाही तक 7.31 लाख करोड़ रुपए एनपीए के रूप में होने की जानकारी दी है। इसके पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही से तुलना करें तो इसमें करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि देश के बैंकिंग सेक्टर में पब्लिक सेक्टर का 67 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ अभी भी वर्चस्व है। इनमें से 20 फीसदी की हिस्सेदारी वाले 11 बैंक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई यानी पीसीए के अधीन हैं। वहीं 16 फीसदी हिस्सेदारी वाले पांच बैंकों पर भी आरबीआइ द्वारा पीसीए की गाज गिर सकती है।
| तिमाही दर तिमाही | पीएसयू बैंकों पर एनपीए(रुपए) |
| जून 2014 | 2.4 लाख करोड़ |
| सितंबर 2014 | 2.5 लाख करोड़ |
| दिसंबर 2014 | 2.8 लाख करोड़ |
| मार्च 2015 | 2.8 लाख करोड़ |
| जून 2015 | 3 लाख करोड़ |
| सितंबर 2015 | 3.2 लाख करोड़ |
| दिसंबर 2015 | 4.1 लाख करोड़ |
| मार्च 2016 | 5.4 लाख करोड़ |
| जून 2016 | 6 लाख करोड़ |
| सितंबर 2016 | 6.4 लाख करोड़ |
| दिसंबर 2016 | 6.5 लाख करोड़ |
| मार्च 2017 | 6.3 लाख करोड़ |
| जून 2017 | 7.4 लाख करोड़ |
| सितंबर 2017 | 7.4 लाख करोड़ |
| दिसंबर 2017 | 7.8 लाख करोड़ |
जीडीपी - सांख्यिकी मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक देश का जीडीपी पिछले वित्त वर्ष के तीसरे तिमाही में 7.2 फीसदी रहा। अद्यौगिक गतिविधियों में रिबाउंड से सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था चीन को भी पीछे छोड़ दिया था। ये उम्मीद से बेहतर रिस्पाॅन्स था। भारत में विशेष रूप से विनिर्माण आैर निर्माण, आैर कृषि क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन से एेसा कर पाया। इसी तिमाही के दौरान चीन में 6.8 फीसदी की वृद्धि हुर्इ। वैश्विक रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी अनुमान लगाया है कि अाने वाले तिमाहियों सकल घरेलू उत्पाद दर में सुधार होगा।
Published on:
27 May 2018 09:26 am
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