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देश को हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा, चार साल बाद का कड़वा सच

चार साल पहले नरेंद्र मोदी ने देश को अपने भाषण में हर साल एक करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। सरकार चार में एक करोड़ नौकरी नहीं दे सकी है।

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PM

देश को हर साल एक करोड़ नौकरी देने वादा, चार साल बाद का कढ़वा सच

नर्इ दिल्ली। आज नरेंद्र मोदी की सरकार को चार पूरे हो चुके हैं। पार्टी के नेता आैर मोदी कैबिनेट के सभी मंत्री देश के लोगों के बीच सरकार की अच्छार्इ आैर गिनाने का काम कर रहे हैं। खासकर नौकरी के मामले में घिरी सरकार लोगों को स्पष्ट करने में जुटी है कि किस तरह से सरकार ने देश में नौकरी देने का काम किया है, लेकिन सच्चार्इ यही है कि मोदी सरकार का हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा सिर्फ पकौड़े आैर पान पर आकर रुक गया है। आइए पत्रिका के नजरिये से देखने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकर्इ मोदी सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में रोजगार देने में कामयाब हुर्इ है? या फिर देश में बेरोजगारी की संख्या में र्इजाफा हुआ है?

क्या कहती है श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट?
केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने हाल ही में रोजगार को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2015 में महज 1.35 लाख नौकरियां पैदा की गई, जो पिछले सात सालों का सबसे निचला स्तर है। साल 2014 में यह आंकड़ा 4.93 लाख था। हालांकि साल 2016 में इसमें कुछ सुधार हुआ और सरकार 2.31 लाख नौकरियां पैदा कर सकी, लेकिन मौजूदा 2017 का डाटा और भी चिंताजनक नजर आ रहा है। नौकरी.डॉट कॉम के जॉब स्पीक इंडेक्स मुताबिक अप्रैल 2017 में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले नौकरी पैदा करने की मौजूदा दर 10 फीसदी कम रही।

मजदूर आैर गरीबों का भी यही हाल
मजदूरों से लेकर गरीबों का भी यही हाल है क्योंकि मजदूरों के लिए मनरेगा स्कीम में ही ऐतिहासिक बजट देकर सरकार ने जताया यही कि उनका हाल बदल जाएगा, लेकिन कोर्इ फर्क नजर नहीं आया है।

बेरोजगार होते मनरेगा मजदूर





















कुल मनरेगा मजदूर25,17,00,000
जॉब कार्ड धारक12,65,0000
काम मिला4,86,41,132
100 दिन काम27,38,364

नहीं मिल रहा है मेहनताना
हैरानी की बात तो यह है कि जिन लोगों को 100 दिन का काम दिया गया था, उनमें से 10 फीसदी मजदूरों को भी 100 दिन काम नहीं मिल रहा और जिन्हें काम मिला उन लोगों को उस काम का मेहनताना नहीं मिला है। कई राज्यों पर मनरेगा मजदूरों का करोड़ों बकाया है।
इन राज्यों में नहीं मिला मूजदूरों को मेहनताना





















































राज्यबकाया
उत्‍तर प्रदेश11239 करोड़ रुपए
नॉर्थ ईस्‍ट स्‍टेट9695 करोड़ रुपए
पश्चिम बंगाल6604 करोड़ रुपए
बिहार5572 करोड़ रुपए
कर्नाटक4550 करोड़ रुपए
मध्‍यप्रदेश4327 करोड़ रुपए
आंध्रप्रदेश4294 करोड़ रुपए
महाराष्‍ट्र4152 करोड़ रुपए
राजस्‍थान2549 करोड़ रुपए
तेलंगाना2454 करोड़ रुपए
अन्‍य12522 करोड़ रुपए

नोटबंदी के दौर में कई मजदूरों की गई नौकरी
तो किसान-मजदूर यकीन करें कैसे कि सरकार सिर्फ और सिर्फ उनके लिए सोच रही है क्योंकि एक सच मनरेगा मजदूरों से इतर असंगठति क्षेत्र के मजदूरों का भी है जिनकी नोटबंदी के दौर में नौकरी चली गई और उनमें से कइयों को आजतक नौकरी मिल नहीं पाई।

खड़े हो रहे हैं कर्इ सवाल
घोषणाओं का सच अपनी जगह है, लेकिन जमीन की सच्चाइयां उतनी सुनहरी नहीं जितनी सरकार दावे कर रही है। अब सवाल यह है कि क्या चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी का दिया गया रोजगार का भाषण सफल हुअा है? या फिर देश को 2019 का इंतजार करना चाहिए? अब इस बात का जवाब देश की जनता को 2019 को देना है, जब लोकतंत्र के सबसे बड़े महाकुंभ में नरेंद्र मोदी समेत कर्इ नेता डुबकी लगाएंगे।