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सरकार उठाए यह कदम तो 25 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो सकता है पेट्रोल

पेट्रोल और डीजल के दाम GST के दायरे में आने से काफी कम हो सकते हैं। Petrol Price में 25 रुपए और Diesel Price में 15 रुपए प्रति लीटर का फर्क आ सकता है।

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Saurabh Sharma

Jul 26, 2019

Petrol Diesel Price Today

Petrol Diesel Price Today Delhi Kolkata Mumbai Chennai 19th July 2020

नई दिल्ली। एसोचैम द्वारा हाल ही में सरकार से पेट्रोल और डीजल के दाम ( petrol diesel prices ) को जीएसटी ( GST ) के दायरे में लाने की मांग के बाद एक फिर से चर्चा जोर पकड़ने लगी है। अगर सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत को जीएसटी के दायरे में लेकर आती है तो पेट्रोल और डीजल के दाम में भारी कटौती होनी तय है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार ( Central govt ) के इस फैसले से पेट्रोल और डीजल के दाम 25 रुपए प्रति लीटर तक कम हो सकते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा कौन सा फॉर्मूला है जिससे पेट्रोल और डीजल के दाम को कम किया जा सकता है। वहीं सरकार के सामने ऐसी कौन सी मजबूरीयां सामने आ रही हैं...

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आखिर पेट्रोल और डीजल पर कितना देते हैं टैक्स
अगर बात दिल्ली की करें तो आपको भी टेबल की मदद से बताते हैं कि आखिर आप पेट्रोल और डीजल पर किस तरह का और कितना टैक्स देते हैं। आईओसीएल की वेबसाइट पर मौजूद इस टेबल में 16 जुलाई के दाम को आधार बनाया गया है।

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मौजूदा समय में ऐसे तय होता है पेट्रोल का दाम





























टैक्स के प्रकाररुपए (प्रति लीटर में)
बेस प्राइस33.83
माल भाड़ा0.31
डीलर कमीशन3.57
एक्साइज ड्यूटी19.98
वैट15.58


डीजल के दाम तय होने का तरीका





























टैक्स के प्रकाररुपए (प्रति लीटर में)
बेस प्राइस37.88
माल भाड़ा0.28
डीलर कमीशन2.50
एक्साइज ड्यूटी15.83
वैट9.75

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टैक्स और कीमत में कोई फर्क नहीं
जैसा कि टेबल में साफ देखा जा सकता है कि पेट्रोल पर लगने वाले वैट और एक्साइज को जोड़ दिया जाए तो 35.56 रुपए सिर्फ आप टैक्स के चुकाके हैं। जबकि बेस प्राइस, माल भाड़ा और डीलर कमीशन को जोड़ दें तो 37.71 रुपए प्रति लीटर बनता है। अगर हम 37.71 रुपए में जीएसटी का 28 फीसदी जीएसटी जोड़ दें तो पेट्रोल के दाम करीब 48 रुपए प्रति लीटर हो जाएंगे। यानी पेट्रोल की कीमत में लोगों को करीब 25 रुपए प्रति लीटर का सीधा फायदा होगा। वहीं डीजल की कीमत में इस तरह का फॉर्मूला लगाने से करीब 15 रुपए प्रति लीटर का फायदा हो जाएगा।

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आखिर सरकार के सामने क्या है मजबूरी
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में ना लाने के पीछे सरकार के सामने वैसे तो कई मजबूरियां हैं, लेकिन दो अहम वजह हैं रेवेन्यू और राज्य सरकारें। पहले रेवेन्यू की बात करें तो जीएसटी लगने के बाद पेट्रोल और डीजल से आने वाले रेवेन्यू पर बड़ा फर्क आएगा। वहीं जीएसटी के दायरे में लाने के लिए परिषद में राज्यों की हामी होना जरूरी है। जबतक सभी राज्य इसके लिए राजी नहीं होते, तब तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सकता।

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