
Why PM Modi talk about self-reliant on petrol-diesel, understand math
नई दिल्ली। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत आसमान पर हैं। देश में पेट्रोल के दाम 100 रुपए के पार पहुंच गए हैं। भारत सरकार इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में इजाफे को कारण बता रही है। वैसे सरकार इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज किए हुए है कि उसने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कितनी बढ़ाई हुई है। खैर आज हम बात सरकार की ही करेंगे। सरकार के अनुसार कच्चे तेल की कीमत में इजाफा ही पेट्रोल और डीजल की कीमत का सबसे बड़ा कारण है। अब सवाल यह है कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा होने से देश की इकोनॉमी को कितना नुकसान होगा? इसलिए देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने फ्यूल पर आत्म निर्भर बनने की बात कही थी। इस साल इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में 31 फीसदी का इजाफा हो चुका है। वहीं भारतीय वायदा बाजार में इजाफा 29 फीसदी तक पहुंच चुका है। आइए आपको भी बताते हैं कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा होने से देश की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा असर पड़ता है। अगर देश इस मामले में आत्मनिर्भर बनता है और आयात कम करता है तो देश को कितना फायदा होगा।
इस साल कच्चे तेल की कीमत में जबरदस्त तेजी
इकोनॉमी खुलने के बाद दुनियाभर में क्रूड ऑयल की डिमांड बढ़ रही है। वहीं ओपेक देशों ने प्रोडक्शन पर कट लगाया हुआ है। लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई वसूलने का काम तेजी से जारी है। जिसकी वजह से जनवरी से अब तक अमरीकी डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल 48 डॉलर से 63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 51 डॉलर से 67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। दोनों तरह के क्रूड ऑयल की कीमत में 31 फीसदी की तेजी देखने को मिल चुकी है। जानकारों की मानें तो जल्द ही 70 डॉलर और जुलाई तक 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के आसार हैं।
भारत में भी इजाफा
वहीं दूसरी ओर भारत के वायदा बाजार में क्रूड ऑयल के दाम में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है। जनवरी के महीने में कच्चे तेल के दाम 3533 रुपए प्रतित बैरल पर थे, जो आज बढ़कर 4600 रुपए प्रति बैरल पर आ गए हैं। यानी इस दौरान भारतीय वायदा बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 29 फीसदी का उछाल आ चुका है। जिसके बहुत जल्द 5000 रुपए प्रति बैरल पहुंचने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
देश की जीडीपी पर पड़ेगा असर
कच्चे तेल की कीमतों के बढऩे का असर देश की जीडीपी पर भी पड़ता हैं। जानकारों की मानें तो कच्चे तेल की कीमतें अगर 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ती हैं तो जीडीपी पर इसका 0.4 फीसदी असर होता है और इससे चालू खाता घाटा 12 अरब डॉलर या इससे भी ज्यादा बढ़ सकता है। अगर भारत की करें तो 7 फीसदी के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। जबकि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 23 फीसदी तक नीचे चली गई थी। ऐसे में भारत को फ्यूल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की बात पीएम मोदी के द्वारा कही जा रही है। इसलिए पीएम मोदी से लेकर सरकार के सभी मंत्री बायोफ्यूल की चर्चा कर रहे हैं।
इन सब पर पड़ता है असर
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ( कमोडिटी एंड रिसर्च ) अनुसार देश को अब फ्यूल के मामले में आत्मनिर्भर बनना इसलिए जरूरी है क्योंकि दुनिया में अब क्रूड ऑयल के दाम में लगातार इजाफा होने के संकेत मिल रहे हैं। जिससे रुपया टूटेगा और देश के विदेशी मुद्रा भंडार जोकि रिकॉर्ड स्तर पर है पर भी असर पड़ेगा। देश की इकोनॉमी को भी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत में क्रूड ऑयल के दाम 29 फीसदी और इंटरनेशनल मार्केट में 31 फीसदी तक उछल चुके हैं।
80 फीसदी तक करना पड़ता है आयात
वहीं केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि दुनियाभर में अब बायोफ्यूल की चर्चा हो रही है। जिसकी बात कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री ने भी की थी। उन्होंने कहा कि हम अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करते हैं। देश का कुल इंपोर्ट बिल का अधिकांश हिस्सा कच्चे तेल का ही होता है। सरकार आयात कम करने के मिशन पर है। अब उनकी नजरें कच्चे तेल पर है। ऐसे में सरकार बायोफ्यूल का कांसेप्ट देख रही है। जिसकी वजह से देश के किसानों को फायदा होगा और इकोनॉमी भी बढ़ेगी।
Updated on:
25 Feb 2021 01:13 pm
Published on:
25 Feb 2021 12:59 pm
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