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अब स्कूल मजबूर नहीं कर सकेंगे पेरेंट्स को एक ही दुकान से किताबें व ड्रेस खरीदने को, होगी कार्रवाई

Delhi Schools: जब भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस और किताबें लेने मार्किट जाते है तो, स्कूल की तरफ से बताई गयी दुकान पर ही जाना पड़ता है। अभिभावक (Parents) किसी स्कूल विशेष की ड्रेस और किताबें एक ही दुकान से महंगी कीमत पर खरीदने को मजबूर होते है। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।  

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एक ही दुकान से किताबें खरीदने को मजबूर करने पर, स्कूलों के खिलाफ होगी कार्यवाही

Delhi Schools: अक्सर अभिभावक, स्कूलों की एक कॉमन डिमांड से परेशान रहते हैं। जब भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस और किताबें लेने मार्किट जाते है तो, स्कूल की तरफ से बताई गयी दुकान पर ही जाना पड़ता है। अभिभावक (Parents) किसी स्कूल विशेष की ड्रेस और किताबें एक ही दुकान से महंगी कीमत पर खरीदने को मजबूर होते है। लेकिन अब दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी (Atishi) ने शुक्रवार को अधिकारियों को निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया, उन्होंने कथित तौर पर छात्रों के अभिभावकों को विशिष्ट विक्रेताओं से महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा किताबों और यूनिफॉर्म पर शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा निदेशालय की क्या है गाइडलाइन ?

गाइडलाइन के अनुसार निजी स्कूलों को किताबों, ड्रेस व अन्य पाठ्य सामग्री की कक्षावार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट पर बतानी होगी। इसके अलावा स्कूल को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक की कम से कम पांच दुकानों का पता और उनके कांटेक्ट नंबरों की भी जानकारी देनी होगी। स्कूल किसी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। निदेशालय में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी निजी स्कूल कम से कम तीन साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिजाइन व अन्य चीजों को बदल नहीं सकता।

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दिल्ली की शिक्षा मंत्री (Education Minister) ने कहा कि प्रत्येक माता-पिता को आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए पुस्तकों और यूनिफॉर्म के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है और वे अपनी सुविधा के अनुसार उनकी व्यवस्था कर सकते हैं।

उन्होंने आगे अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, शिक्षा का उद्देश्य देश का भविष्य बनाना होना चाहिए, पैसा कमाना नहीं होता। शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निजी स्कूलों को अभिभावकों की जानकारी के लिए नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले कक्षावार किताबों और अन्य अध्ययन सामग्री की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करनी होगी।

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