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शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के तहत सरकार शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है। जिससे जरुरी शिक्षा प्रत्येक वर्ग के बच्चे को मिल सके। केंद्र सरकार चाहती है कि राइट टू एजुकेशन (RTE) का दायरा केवल पहली से आठवीं कक्षा तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि इसे नर्सरी से 12वीं कक्षा तक लागू किया जाये। RTE में प्री स्कूल और माध्यमिक स्कूल को शामिल करने पर अंतिम फैसला इसी हफ्ते केंद्र सरकार और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की कैब के बीच होने वाली बैठक में होगा।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित सीटें ख़त्म करने पर विचार
सरकार और कैब की बैठक में उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने मांग रखी है की आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित सीटों को खत्म किया जाये। क्योंकि इस कोटे के तहत दाखिले पर केंद्र सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन वास्तविकता में छात्रों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।अब इन पैसों को सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर खर्च किया जा सकता हैं।
प्री स्कूल को प्राथमिक में जोड़ने पर सहमति
अभी तक पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को ही राइट टू एजुकेशन एक्ट(RTE) के तहत अनिवार्य शिक्षा का लाभ मिलता है। कई राज्यों ने मांग रखी थी प्री स्कूल को भी शामिल किया जाये और इसका दायरा बढ़ाकर आठवीं से 12 वीं कक्षा तक किया जाये। निजी स्कूलों की बजाय अभिभावकों के पास सरकारी स्कूलों में दाखिले का विकल्प होगा तो दाखिले की मनमानी भी रूक जाएगी। क्योंकि RTI एक्ट के तहत सरकारी स्कूलों में प्री स्कूल के तहत नर्सरी कक्षा भी जुड़ जाएंगी।
Published on:
22 Jan 2018 03:48 pm
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