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पुणे में भारतीय सेना का दूसरा व्यावसायिक आर्मी लॉ कॉलेज शुरू

आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के तत्वावधान में शुरू किया गया यह कॉलेज भारतीय सेना का पुणे में दूसरा व्यावसायिक कॉलेज है

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Kamal Singh Rajpoot

Jul 19, 2018

Army Law College

पुणे में भारतीय सेना का दूसरा व्यावसायिक आर्मी लॉ कॉलेज शुरू

भारतीय सेना द्वारा पुणे में आर्मी लॉ कॉलेज की स्थापना की गई है। आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के तत्वावधान में शुरू किया गया यह कॉलेज भारतीय सेना का पुणे में दूसरा व्यावसायिक कॉलेज है। पहला व्यावसायिक कॉलेज आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है।

सैन्यकर्मियों के 60 बच्चों को मिला प्रवेश
रक्षा मंत्रालय के मध्य कमान मुख्यालय की जनसंपर्क अधिकारी गार्गी मलिक सिन्हा ने बताया कि आर्मी लॉ कॉलेज एक आवासीय संस्थान है जो पांच वर्षीय एकीकृत बीबीए, एलएलबी पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। यह कॉलेज सावित्रि फुले पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के लिए सेवारत एवं सेवानिवृत सैन्यकर्मियों के 60 बच्चों को प्रवेश दिया गया है।

सेनाध्यक्ष ले. जनरल डीआर सोनी ने किया उद्घाटन
इस कॉलेज का उद्घाटन दक्षिणी कमान के सेनाध्यक्ष ले. जनरल डीआर सोनी ने किया। अपने संबोधन में ले. जन. सोनी ने राधा कालियानदास दरयानानी चैरिटेबल ट्रस्ट और महाराष्ट्र सरकार तथा सावित्री फुले पुणे विश्वविद्यालय को उनके द्वारा दिए गए भरपूर सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

डॉं. मधुश्री जोशी होंगी कॉलेज की प्रथम प्राचार्य
गार्गी ने बताया कि यह कॉलेज राधा कालियानदास दरयानानी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा उपहार में दिए गए संपत्ति पर निर्मित है जो पुराने पुणे-मुम्बई राजमार्ग पर कान्हे ग्राम के पास में स्थित है और इसमें 12 भवन निर्मित हैं। इस कॉलेज के प्रथम प्राचार्य डॉं. मधुश्री जोशी होंगी, जो स्वयं पुणे विश्वविद्यालय की 'गोल्ड मेडलिस्ट' हैं।

प्राइमरी स्कूल के बच्चों को निखारेंगी पूजा बेदी
प्राइमरी स्कूल के बच्चों के ज्ञान को अधिक निखारने या संवारने के लिए प्राइमरी प्लस मीडिया जर्नल ने टीच प्राइमरी के साथ समझौता किया है। साथ ही अपनी मैगजीन टीच प्राइमरी (भारतीय संस्करण) के संपादक की कमान पूजा बेदी को सौंपी है। 30 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाली पूजा बेदी बतौर मां, टीवी शो होस्ट, लेखिका और अभिनेत्री के तौर पर जानी मानी शख्सियत हैं।

इस मौके पर पूजा बेदी ने कहा, 21 शताब्दी के अनपढ़ वह नहीं हैं, जो लिख या पढ़ नहीं सकते, बल्कि वह हैं, जो कुछ सीखना नहीं चाहते, अपनी पुरानी सीखी गई बातों को भूलना नहीं चाहते और दोबारा से कुछ सीखना नहीं चाहते। भारतीय शिक्षा व्यवस्था के फॉर्मेट में आमूलचूल बदलाव होना चाहिए। बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने की कोशिश में हम उनसे उनका बचपन छीन लेते हैं।