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JEE Main 2023: जेईई मेन से नहीं हटेगा 75% मार्क्स का क्राइटेरिया, कोर्ट में ख़ारिज हुई जनहित याचिका

JEE Main Criteria 75 Percent marks: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने आज उस जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया है जिसमे 75 फीसदी पात्रता मानदंड को चुनौती दी गयी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप वी मार्ने की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।  

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Criteria of 75 Percent marks will not be removed

JEE Main Criteria 75 Percent marks: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने आज उस जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया है जिसमे 75 फीसदी पात्रता मानदंड को चुनौती दी गयी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप वी मार्ने की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। इस जनहित याचिका (PIL) में मांग की गयी थी की क्वालीफाइंग एग्जाम होने के बावजूद 12th बोर्ड में 75% मार्क्स का क्राइटेरिया गलत है और इसे हटाया जाना चाहिए। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। क्योंकि जेईई मेन्स एक अखिल भारतीय परीक्षा है। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि हम इस स्तर पर विचार नहीं कर सकते यह सरकार को तय करना है। एनटीए ने दावा किया कि 75 प्रतिशत कट-ऑफ मार्क्स का क्राइटेरिया रखने का उसका निर्णय एक सोच समझकर कर लिया गया निर्णय है।

क्या कहा बॉम्बे हाई कोर्ट ने

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप वी मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि जेईई मेन्स एक अखिल भारतीय परीक्षा है। हम इस स्तर पर विचार नहीं कर सकते यह सरकार को तय करना है। इस पर अदालती सुनवाई के दौरान, एनटीए ने दावा किया कि 75 प्रतिशत कट-ऑफ मार्क्स का क्राइटेरिया रखने का उसका निर्णय एक सोच समझकर कर लिया गया निर्णय है। इससे पहले याचिकाकर्ता ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से परीक्षा में 75 प्रतिशत मार्क्स का क्राइटेरिया हटाने का अनुरोध किया था।

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जनहित याचिका (PIL) में की गयी थी मांग

जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया है जिसमे 75 फीसदी पात्रता मानदंड को चुनौती दी गयी थी। जेईई (JEE) एक क्वालीफाइंग एग्जाम होने के बावजूद 12th बोर्ड में 75% मार्क्स का क्राइटेरिया गलत है और इसे हटाया जाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने एनटीए से 75 प्रतिशत एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि उनके द्वारा प्राप्त अंक उनकी वास्तविक क्षमता का सही प्रतिबिंब नहीं है। ऐसे में एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया (75%) से कम अंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स पर इसका बुरा असर पड़ेगा।