Mukesh Ambani vs Gautam Adani Qualification: मुकेश अंबानी और गौतम अडानी भारत के दो प्रमुख उद्योगपति हैं। लेकिन उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि काफी अलग है। इस आर्टिकल में जानिए किसने कहां तक पढ़ाई की, किसने एमबीए अधूरा छोड़ा और किसने कॉलेज ड्रॉपआउट होकर बिजनेस की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है।
Mukesh Ambani vs Gautam Adani Who is More Educated: भारत के दो प्रमुख उद्योगपति, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी अलग-अलग बिनेस सेक्टर्स में काम कर रहे हैं, लेकिन अक्सर उनकी तुलना एक-दूसरे से की जाती है। कारोबार, संपत्ति और विस्तार के अलावा अब सवाल यह भी उठता है कि दोनों में से कौन कितना पढ़ा-लिखा है? दोनों लोगों की शैक्षणिक योग्यता क्या है और उनका शैक्षिक सफर कैसा रहा? आइए जानते हैं कि शिक्षा के मैदान में कौन कितना आगे है।
मुकेश अंबानी का जन्म 1957 में यमन में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश मुंबई में हुई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिल ग्रेंज हाई स्कूल, मुंबई और कुछ समय के लिए सिंधिया स्कूल ग्वालियर से प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने Institute of Chemical Technology (ICT), मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक (B.E.) की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा में गहरी रुचि रखने वाले मुकेश अंबानी ने आगे चलकर अमेरिका के Stanford University से MBA करने के लिए दाखिला लिया।
हालांकि, साल 1980 में उन्होंने अपने पिता धीरूभाई अंबानी के साथ रिलायंस के कारोबार को संभालने के लिए स्टैनफोर्ड की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। भले ही उन्होंने MBA पूरा नहीं किया लेकिन उनकी तकनीकी समझ और प्रबंधन क्षमता ने रिलायंस को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी बना दिया।
गौतम अडानी का जन्म 1962 में अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। वे एक साधारण जैन परिवार से आते हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई शेठ सी.एन. विद्यालय, अहमदाबाद में हुई
इसके बाद उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय में कॉमर्स (बी.कॉम) में दाखिला लिया, लेकिन दूसरे वर्ष में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। वर्ष 1978 में वे मुंबई आ गए और एक हीरा छांटने वाले (डायमंड सॉर्टर) के रूप में अपना करियर शुरू किया।
बिजनेस में रुचि रखने वाले अडानी ने जल्द ही खुद का रास्ता चुना और 1980 के दशक में व्यापार की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने बिना किसी औपचारिक डिग्री के अपने अनुभव और सूझबूझ के बल पर Adani Group को एक वैश्विक ब्रांड बना दिया।
जहां मुकेश अंबानी ने तकनीकी शिक्षा और प्रबंधन के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़कर रिलायंस का नेतृत्व किया, वहीं गौतम अडानी ने अपने अनुभव और जोखिम उठाने की क्षमता से व्यापार जगत में ऊंचाइयां पाई हैं। दोनों की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि शिक्षा जरूरी है लेकिन दृष्टिकोण, मेहनत और निर्णय लेने की क्षमता ही किसी को असाधारण बनाती है।