
Success Story: बीते कुछ सालों से खेती बाड़ी के काम को नई दिशा मिली है। कई ऐसे किसान हैं जो आधुनिक तरीके से खेती करके लाखों-करोड़ों कमा रहे हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एलोवेरा की खेती करके अपनी किस्मत चमकाई जा सकती है। आज हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं वो कभी चाय बेचा करता था। लेकिन फिर उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि जिसने उसकी जिंदगी ही बदल डाली। हम बात कर रहे हैं अजय स्वामी की, एलोवेरा की खेती ने जिन्हें फर्श से उठाकर अर्श पर बैठा दिया।
अजय स्वामी राजस्थान के हनुमानगढ़ क्षेत्र के परलीका गांव के रहने वाले एक किसान हैं। एलोवेरा की खेती करना अजय के लिए भी आसान नहीं रहा। एक तो उनके लिए ये काम बिलकुल नया था और दूसरा कि अजय के पास खेती का पहले का कोई अनुभव नहीं था। अखबार में एलोवेरा के बारे में पढ़कर उन्होंने अपनी किस्मत चमकाने की सोची।
अजय आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते थे। पिता के निधन के बाद उनके परिवार पर गाज गिर गई। परिवार का पेट पालने के लिए अजय को चाय बेचना पड़ा। वर्ष 1999 में अजय अपनी चाय की टपरी (चाय की दुकान) चलाते थे लेकिन वे इस काम से खुश नहीं थे। अजय अपने परिवार को बेहतर जिंदगी देना चाहते थे।
अजय के पास पिता की दो बीघा जमीन थी। फिर क्या उन्होंने अपने समुदाय के किसानों से एलोवेरा की खेती (Aleo Vera Farming) के बारे में जानने की कोशिश की। उन्होंने इसके बारे में पहले अच्छे से शोध किया। इसी बातचीत में उन्हें पता लगा कि एलोवेरा की खेती के लिए बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं है। अजय के लिए ये किसी खुशखबरी से कम नहीं थी क्योंकि राजस्थान के कई इलाके में अक्सर सूखा पड़ा रहता है।
जमीन और आईडिया तो मिल गया लेकिन अब अजय के सामने सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि बीज कहां से लाया जाए। उन्हें किसी ने सलाह दी कि चुरू के नजदीक एक गांव में कब्रिस्तान है, जहां एलोवेरा (Aloe Vera) के कई पौधे मिल जाएंगे। अजय ने वहां से एलोवेरा के पौधे लाकर अपने खेत में उच्च गुणवत्ता की खाद और मिट्टी के साथ लगा दिया। एक वर्ष से अधिक तक वे अपनी चाय की दुकान के साथ ही खेती का काम संभालते रहे। करीब डेढ़ साल बाद उन्हें अच्छी फसल मिली। 2002 में उन्होंने चाय की दुकान बंद करके अपना पूरा ध्यान खेती के काम में लगा दिया।
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एलोवेरा की खेती (Aleo Vera Farming) कम मूल्य पर की जा सकती है। एलोवेरा की खेती रेतीली मिट्टी में भी की जा सकती है और इसके लिए पानी भी कम चाहिए। एक बीघा जमीन में करीब 800 पौधे उगाए जा सकते हैं। खैर, बात करें अजय की तो उन्होंने न सिर्फ एलोवेरा की खेती की बल्कि इसके कई उत्पाद भी बनाए जैसे जेल, क्रीम आदि। इन उत्पादों को बेचने से अजय को अलग पहचान मिली। बाद में उन्होंने एलोवेरा के लड्डू का उत्पादन भी शुरू किया। अजय के इस आईडिया को लॉकडाउन में काफी सफलता मिली जिसका परिणाम है कि आज उनके लड्डू 350 प्रति किलोग्राम के भाव से बिकते हैं।
Updated on:
13 Jul 2024 10:10 am
Published on:
13 Jul 2024 10:00 am
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