Regional Languages in KVs: सीबीएसई ने हाल ही में एक सर्कुल जारी किया जिसके तहत सभी प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा में शिक्षा देने का निर्देश दिया गया। सीबीएसई के इस निर्देश में दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों को मुश्किल में डाल दिया है, जहां की आबादी बहुभाषी हैं। लेकिन अब केंद्रीय विद्यालय के एक प्रस्ताव ने सभी प्राइवेट स्कूलों को आगे का रास्ता दिखाया है। केवीएस ने विविध भाषाई पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थियों को देखते हुए, कक्षाओं को भाषा के आधार पर विभाजित करने का विचार किया है।
पिछले महीने CBSE ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सभी स्कूल प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दें। सीबीएसई ने कहा कि गर्मियों की छुट्टियों के अंत तक अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण सामाग्री को व्यवस्थित कर लें। यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान समय में करीब 30 हजार से अधिक स्कूल CBSE से संबद्ध हैं।
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केवी की बात करें तो भारत में केंद्रीय विद्यालय स्कूलों की संख्या करीब 1256 है, जिनमें लगभग 13.56 लाख छात्र हैं। केवीएस CBSE से संबद्ध स्कूल है और मुख्य रूप से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। यही कारण है कि यहां विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि वाले छात्र एडमिशन लेते हैं। ऐसे में CBSE के निर्देशों को लागू करने के लिए केवीएस कक्षाओं को मातृभाषा के आधार पर अलग अलग वर्गों में विभाजित करने का विचार कर रहा है।
वर्तमान में केवी में दो भाषा में पढ़ाई होती है, हिंदी और अंग्रेजी। इसके अलावा, प्राथमिक कक्षाओं में अंग्रेजी और हिंदी को विषय के रूप में पढ़ाया जाता है, जबकि हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत कक्षा 6 से 8 तक के विषय हैं। इसका मतलब है कि केवी में भाषा शिक्षकों के लिए स्वीकृत पद हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत के लिए हैं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि हिंदी भाषी क्षेत्रों से बाहर के स्कूलों में CBSE के नए नियम का कार्यान्वयन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, उन्होंने कहा कि पहला कदम भाषा मानचित्रण अभ्यास आयोजित करना और अभिभावकों की सहमति लेना होगा। आवश्यकताओं के आधार पर, संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। अधिकारी ने कहा कि कई सेक्शन वाले स्कूलों में, एक सेक्शन में एक भाषा और दूसरे सेक्शन में एक अलग भाषा में शिक्षा देना संभव हो सकता है।
भाषा के आधार पर न सिर्फ कक्षा का वर्गीकरण किया जाएगा बल्कि शिक्षकों को आवंटित करने की आवश्यकता होगी। शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केवी में पहले से ही क्षेत्रीय भाषा या मातृभाषा में शिक्षण की व्यवस्था करने का प्रावधान है, यदि किसी कक्षा में कम से कम 15 छात्र इसे चुनते हैं।
सीबीएसई अधिकारियों ने कहा कि 200-300 स्कूल, विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरीय क्षेत्रों में, एक ही कक्षा में कई भाषाओं की उपस्थिति के कारण कठिनाइयों का सामना करने की संभावना है। ऐसे मामलों में, स्कूलों को भाषा वरीयता के आधार पर छात्रों को वर्गों में विभाजित करना पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा कि स्कूल स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का विकल्प भी चुन सकते हैं।
Published on:
21 Jun 2025 04:22 pm