
Success Story Of Victoria Gowri: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के पांच अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की। इनमें से एक नाम जिनकी काफी चर्चा हो रही है, वो हैं महिला जज- जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी। इनका नाम कई बार एक पॉलिटिकल पार्टी से जोड़ा गया। वहीं इनके कई बयान को विवादित बताया जाता है।
विक्टोरिया गौरी (Victoria Gowri Success Story) का जन्म तमिलनाडु के नागरकोइल में 1973 में हुआ था। जस्टिस विक्टोरिया गौरी ने मदुरै के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने लॉ में मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर भी किया। 1995 में एक वकील के रूप में एनरोल कराया और 1997 में कन्याकुमारी में अपनी खुद की फर्म वी-विक्ट्री लीगल एसोसिएट्स शुरू की। कुल मिलाकर गौरी को वकालत में 21 सालों का अनुभव है।
ऐसा कहा जाता है कि वे अपने कॉलेज के दिनों से ही भाजपा से जुड़ गई थीं। हालांकि, अब उन्होंने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। एक मीडिया को दिए अपने बयान में गौरी ने कहा था कि भाजपा के सभी पदों से जून 2020 में इस्तीफा दे दिया है। सहायक सॉलिसिटर जनरल बनने के बाद वे पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से मुक्त हो गई थीं।
दरअसल, साल 2023 में जब विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में जज बनाया जा रहा था तब इस फैसले का मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) के 21 वकीलों ने विरोध किया था। वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सौंपी गई फाइल को वापस करने की अपील की, जिसमें विक्टोरिया गौरी (Victoria Gowri) की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी। वकीलों ने दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी भाजपा नेता हैं। इतना ही नहीं वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के कुछ बयानों का भी जिक्र किया था जो कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ थे। वकीलों ने आरोप लगाया था कि गौरी विचार और धार्मिक कट्टरता हाईकोर्ट के जज के तौर पर उनकी नियुक्त को आयोग्य बनाता है।
वकीलों ने विरोध में आरएसएस द्वारा होस्ट किए गए यूट्यूब चैनल पर गौरी के दिए इंटरव्यू का हवाला दिया था। एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए अधिक खतरा? जिहाद या ईसाई मिशनरी? नाम के विषय पर बातचीत की गई थी। ये यूट्यूब पर 27 फरवरी, 2018 को अपलोड किया गया था। इसमें गौरी ने ईसाइयों के खिलाफ एक चौंकाने वाली बात कही थी। साथ ही इस्लाम को हरा आतंक बताया था। वहीं ईसाई धर्म को सफेद आतंक बताया था।
गौरी इंटरव्यू में कहती हैं, "विश्व स्तर पर, मैं ईसाई समूह को इस्लामी समूह की तुलना में कम खतरनाक मानती हूं। लेकिन जहां तक भारत की बात है, मैं कहना चाहूंगी कि ईसाई समूह इस्लामिक समूहों से ज्यादा खतरनाक हैं। धर्म परिवर्तन खासकर लव जिहाद के मामले में दोनों समान रूप से खतरनाक हैं। मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि एक हिंदू लड़के की शादी मुस्लिम लड़की से हो रही है या एक हिंदू लड़की की शादी मुस्लिम लड़के से, जब तक वे एक दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन अगर मैं अपनी लड़की की बात करूं या मुझे मेरी लड़की सीरियाई आतंकवादी शिविरों में मिलती है, तो मुझे आपत्ति है, और इसे ही मैं लव जिहाद के रूप में परिभाषित करती हूं।"
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के पांच अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की। इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 29 अप्रैल 2024 को सर्वसम्मति से इन जजों को स्थायी बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। इस सिफारिश को मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने मंजूरी दी, और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के एक जज से परामर्श करके अंतिम फैसला लिया गया। जिन जजों को स्थायी बनाया गया है, उनमें तीन महिला जज- जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी, जस्टिस रामचंद्रन कलैमथी, और जस्टिस के. गोविंदराजन थिलकावडी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, जस्टिस पीबी बालाजी और जस्टिस केके रामकृष्णन भी इस लिस्ट में हैं।
Published on:
11 Sept 2024 09:23 pm
बड़ी खबरें
View Allशिक्षा
ट्रेंडिंग
