
Manisha Dharve Success Story: मनीषा धार्वे की सफलता की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। उनकी कहानी जानकर आप भी कहेंगे कि मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता और दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ किसी भी चीज को पाया जा सकता है। मनीषा मध्य प्रदेश के छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं। बहुत ही कम उम्र में वे अपने गांव की पहली लड़की बन गई, जिसने यूपीएससी सीएसई परीक्षा क्लियर किया है।
मनीषा धार्वे (Manisha Dharve) की मां जमना धार्वे एवं पिता गंगाराम धार्वे दोनों सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। मनीषा की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई है। कक्षा 1 से 8वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की है जबकि कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई खरगोन के उत्कृष्ट विद्यालय में हुई। वे बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छी थीं। 10वीं में उन्हें 75 प्रतिशत और 12वीं में 78 प्रतिशत मार्क्स मिले थे।
12वीं की पढ़ाई के बाद मनीषा ने इंदौर के होलकर कॉलेज से बीएससी कंप्यूटर साइंस की डिग्री ली। ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। मनीषा ने तैयारी के लिए दिल्ली जाने का मन बनाया। उन्होंने परिवार के सामने जब ये प्रस्ताव रखा तो वे नहीं मानें। हालांकि, कुछ दिनों बाद परिवार वाले भी बेटी की जिद के आगे झुक गए।
कभी दिल्ली से गांव का रुख किया। फिर वापस दिल्ली आईं। बहुत मेहनत करने के बाद भी मनीषा अपने पहले तीन प्रयास में असफल रहीं। आखिरकार चौथे प्रयास में वर्ष 2023 में वे सफल हुईं। कलेक्टर बनने का सपना पूरा हुआ और मनीषा ने 257वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई परीक्षा क्लियर कर लिया। मनीषा धार्वे महज 23 साल की उम्र में सिविल सेवा अधिकारी बन गईं। वे मध्य प्रदेश के उन आदिवासी बच्चों के लिए रोल मोडल हैं, जो सिविल सेवा में जाना चाहते हैं।
Updated on:
05 Oct 2024 03:19 pm
Published on:
05 Oct 2024 02:59 pm
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