
UPSC Success Story: जेईई एडवांस परीक्षा और यूपीएससी सीएसई परीक्षा दोनों ही ऐसी परीक्षाएं हैं जो काफी कठिन होती हैं। कई लोग इन परीक्षाओं में असफल हो जाते हैं। वहीं आज हम ऐसी लड़की की कहानी जानेंगे जिसने पहले जेईई एडवांस परीक्षा में सफलता पाई और फिर यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सफल हुईं। हम बात कर रहे हैं अनुश्री सचान की।
अनुश्री सचान की कहानी उन लाखों-हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा की कहानी है, जो जेईई एडवांस और यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा दे रहे हैं। अनुश्री को पढ़ाई के लिए घर से बहुत सपोर्ट मिला। उनके पिता BSNL में डिवीजनल इंजीनियर हैं। वहीं उनकी मां हाउस वाइफ हैं। अनुश्री का एक छोटा भाई है, जो फिलहाल IIT Guwahati से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है।
मूल रूप से अनुश्री का परिवार लखनऊ का रहने वाला है। उनकी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से हुई थी। लेकिन जेईई परीक्षा की तैयारी के लिए अनुश्री कोटा आ गईं। यहां के पढ़ाई के मौहाल ने उन्हें काफी प्रभावित किया। शुरुआत में कुछ दिनों वे होस्टल में रहीं। लेकिन फिर उनका भाई और मां और बाद में पिता भी कोटा शिफ्ट हो गए।
अनुश्री ने 2017 में जेईई एडवांस में सफलता हासिल की थी। यहां से उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस (BS) इन केमिस्ट्री की पढ़ाई की। चार बार कोशिश करने के बाद UPSC CSE 2024 में सचान ने सफलता हासिल की। वर्ष 2021 और 2023 में उनसे प्रीलिम्स भी पास नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वहीं वर्ष 2022 में उन्होंने यूपीएससी में 633वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन वे अपने रैंक से संतुष्ट नहीं थी। उनके परिवार ने उन्हें हौसला दिया और उन्होंने 2024 की परीक्षा में 220वीं रैंक के साथ सफलता हासिल कर ली।
अनुश्री सचान को IIT से पढ़ाई करने के बाद जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्युनिख से रिसर्च का ऑफर भी मिला था। लेकिन कोविड 19 के कारण वो नहीं जा पाई थीं। आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद उन्हें एक बैंक से जॉब ऑफर भी मिला था। लेकिन उन्होंने ज्वॉइन नहीं किया। उनका सपना सिविल सेवा में जाना था।
अनुश्री ने दो प्रयास में असफलता हासिल करने के बाद पुराने सवालों की जमकर प्रैक्टिस की। साथ ही उन्होंने आंसर राइटिंग की और टेस्ट सीरीज ज्वॉइन कर लिया। अनुश्री एक इंटरव्यू में बताती हैं कि सवालों को प्रैक्टिस करने से उन्हें काफी मदद मिली और रैंक में उनका सुधार हुआ। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अनुशासन। कई बार मन न हो तब भी पढ़ना पड़ता है। रोज पढ़ना पड़ता है। वे रोज 10 घंटे पढ़ती थीं।
Published on:
29 Apr 2025 05:59 pm
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