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Election Result 2023: चुनाव में किसी कैंडिडेट की कैसे होती है जमानत जब्त, क्या होता है नुकसान?

चुनाव परिणाम के दौरान कई बार सुना जाता है कि उस उम्मीदवार की तो जमानत जब्त हो गई। आखिर इसका मतलब क्या होता है और किसी भी चुनाव में किसी उम्मीदवार को कितने वोट मिलते हैं कि उसकी जमानत जब्त हो जाती है।

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Assembly Election Result 2023: राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के परिणाम कल यानी 3 दिसंबर को जारी किए जाएंगे। रविवार सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी और दोपहर होते होते तस्वीर साफ हो जाएगी कि कौन से राज्यें में किस पार्टी की सरकार बनने जा रही है। हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में कई दिग्गज उम्मीदवारों की साख दांव पर है। चुनाव परिणाम के दौरान अक्सर एक शब्द सुना जाता है जमानत जब्त हो गई। तो चलिए जानते है इसका मतलब क्या होता है? जब किसी कैंडिडेट की जमानत जब्त होती है तो उसका क्या नुकसान होता है?


क्या है जमानत जो होती है जब्त

चुनाव लड़ने के लिए जब कोई प्रत्याशी नामाकंन दाखिल करता है तो उसको चुनाव आयोग के पास कुछ राशि जमा करानी होती है। इस राशि को ही जमानत कहा जाता है। यह निश्चित राशि इसलिए जमा करवाई जाती है ताकि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार इसको गंभीरता से ले। हर चुनाव के लिए जमानत राशि अलग- अलग होती है।

कितनी होती है जमानत राशि

लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनाव आयोग के पास अलग अलग निश्चित राशि जमा करवाता है। विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को जमानत राशि के तौर पर 10,000 रुपए जमा करवाता है। एससी-एसटी कैटेगरी के प्रत्याशी के लिए 5000 रुपए जमा होते है। वहीं, लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार 25,000 रुपए जमानत राशि जमा करवाता है। जबकि एससी-एसटी के उम्मीदवारों को 12,500 हजार रुपए जमा करवाना होता है। वहीं राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में यह जमानत राशि 15 हजार रुपए निर्धारित की गई है।

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कब जब्त होती है जमानत राशि

चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, अगर चुनाव में किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतदान का 1/6 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है। इस स्थिति में चुनाव आयोग जमानत राशि भी जब्त कर लेता। अगर किसी प्रत्याशी को 16.67 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलता है तो आयोग उसकी जमानत राशि लौटा देता है। यही सेम फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है।

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जानिए कौन उठाता है चुनाव का पूरा खर्चा

अगर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव का होता है तो उस चुनाव का पूरा खर्चा संबंधित राज्य सरकार उठाती है। यदि किसी राज्य का विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ होते है तो ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें आधा-आधा खर्चा वहन करती हैं।

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