
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 2022 में 18 वीं विधानसभा के लिए चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं। लोकतंत्र के महापर्व में अतीत का एक ऐसा किस्सा भी जुड़ा है जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एक जनसभा कर रहे थे और उनकी सरकार गिर गई। हुआ यह था कि तब लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन बैठे थे। लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ एक दिन का रहा।
एकाएक ले ली कल्याण सिंह की जगह
21 फरवरी 1998 को यूपी में तब नया इतिहास लिखा गया जब मायावती जनता दल, किसान कामगार पार्टी, लोकत्रांतिक कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचीं। उन्होंने राज्यपाल रोमेश भंडारी के कहा हम कल्याण सिंह सरकार के परिवहन मंत्री जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री के रुप में अपना समर्थन देते हैं।
राज्यपाल ने नहीं मानी कल्याण सिंह की बात
कुर्सी पर खतरा भाप कल्याण राजभवन पहुंचे और बहुमत साबित करने का मौका मांगा। लेकिन 21 फरवरी की रात ही कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। और जगदंबिका पाल को नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया गया। नरेश अग्रवाल उप मुख्यमंत्री बने।
हाईकोर्ट के आदेश पर बहाल हुई कल्याण सरकार
अगले दिन अटल बिहारी वाजपेयी राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस में आमरण अनशन पर बैठ गए। इसी दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार करते हुए कल्याण सिंह की सरकार को दोबरा बहाल कर दिया।
यूपी में एक साथ थे दो मुख्यमंत्री
जगदंबिका पाल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। 24 फरवरी को फैसला आया 48 घंटे के अंदर कंपोजिट फ्लोर टेस्ट कराया जाए और नतीजे आने तक कल्याण सिंह और जगदंबिका पाल दोनों के साथ मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार हो। हालांकि, दोनों को नीतिगत फैसला लेना का कोई अधिकार नहीं था।
कंपोजिट फ्लोर टेस्ट में हारे जगदंबिका
26 फरवरी को दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने अपना अपना विश्वात मत पेश किया। कल्याण को 225 वोट और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले। कल्याण सिंह फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
Updated on:
17 Nov 2021 08:20 pm
Published on:
16 Nov 2021 08:23 pm
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