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Kerala Assembly Elections 2021 – मध्य केरल में ईसाई मतदाता निर्णायक भूमिका में, लुभाने में जुटी सभी पार्टियां

Published: Mar 20, 2021 11:43:37 am

Kerala Assembly Elections 2021 – सत्ता का संग्राम: कांग्रेस के सामने परंपरागत वोट बैंक को कायम रखने की चुनौती

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Kerala Assembly Elections 2021 – मध्य केरल में ईसाई समुदाय के वोटर विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रदेश की कुल आबादी का 18.38 फीसदी ईसाई समुदाय के लोग हैं। इसका प्रभाव एर्नाकुलम, कोट्टयम, पथनमथिट्टा व इडुक्की की 33 सीटों पर है। यह समुदाय परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहा है। इस पर वामदलों व भाजपा की निगाहें हैं।
केरल कांग्रेस (एम) यानी केसीएम के विभाजन के बाद यह पहला मौका है, जब 40 साल से कांग्रेस के साथ रही पार्टी माकपा के मोर्चा वाली एलडीएफ फ्रंट में शामिल है। एलडीएफ ने ईसाई वोटों के मद्देनजर कांग्रेस (एम) को गठबंधन के तहत 13 सीटें आवंटित की हैं। पार्टी कैडर के विरोध के बावजूद माकपा ने केसीएम को रन्नी व पथनमथिट्टा सीट भी दी हैं, जिन पर पार्टी 25 साल से जीतती रही है।
उधर, केरल कांग्रेस (जे) ने यूडीएफ से हाथ मिलाया है। वहीं, तमिलनाडु में मक्कल नीधि मय्यम पार्टी के अध्यक्ष अभिनेता कमल हासन ने चुनाव घोषणा पत्र में युवाओं को 50 लाख नौकरी और गृहिणियों को हर माह 3000 रुपए का वादा किया है।
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अल्पसंख्यकों को लुभा रही भाजपा
भाजपा केरल में मुस्लिमों सहित सभी अल्पसंख्यकों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। केरल के बहुत से साधन संपन्न मुसलमान युवा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए भाजपा से जुड़ रहे हैं। दिसंबर 2020 में राज्य में स्थानीय निकायों के हुए चुनाव में भाजपा ने 600 से ज्यादा मुस्लिम व ईसाई उम्मीदवार उतारे थे।
जैकोबाइट बनाम ऑर्थोडॉक्स
केरल स्थित सीरियाई चर्च जैकोबाइट व ऑर्थोडॉक्स का मुद्दा उछला है। दोनों के बीच में 1559 से विवाद है। सुप्रीम कोर्ट के 2017 के आदेश में केरल के 1,000 चर्चों व संबंधित संपत्तियों का कब्जा ऑर्थोडॉक्स धड़े को दे दिया था। यह धड़ा आदेश लागू कराने की मांग पर कायम है, वहीं जैकोबाइट आरोप लगाता रहा है कि आदेश का गलत मतलब निकाल रहे हैं। जैकोबाइट चर्च के फादर स्लीबा पॉल कह चुके हैं कि उनकी समस्या का समाधान निकलता है तो वह भाजपा को समर्थन देने को तैयार हैं।
कांग्रेस में मचा घमासान
उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान मचा है। इसी के चलते पीसी चाको कांग्रेस छोड़ एनसीपी में शामिल हो गए। एनसीपी का चुनावी गठजोड़ एलडीएफ से है। इसके बाद राहुल गांधी के कहने पर कांग्रेस में प्रत्याशियों के चयन में महिलाओं व युवाओं को तरजीह दी जा रही है।
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