विपक्ष में रहने लायक सीटें भी नहीं मिल रहीं
मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटों में 23 से अधिक सीटों पर बीजेपी ने बढ़त बनाकर आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस मात्र 3 सीटों पर ही नजर आ रही है। इन आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस मणिपुर में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका भी खो रही है। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का बड़ा झटका लगा है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के सामने एक बार फिर से बड़ी चुनौती है कि आखिर किस तरह से पार्टी को एक बार फिर से जिंदा किया जाए।
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जनता ने बीजेपी पर जताया भरोसा
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर के लोगों ने सबसे ज्यादा बीजेपी पर विश्वास जताया है। आयोग के अनुसार, बीजेपी को 37.31 प्रतिशत वोट मिले है। जबकि कांग्रेस 16.55 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई। वहीं एनपीईपी को 16.27 प्रतिशत वोट मिले है। इस प्रकार से कहा जाता है कि मणिपुर में कांग्रेस की वापसी करने का सपना अब सपना ही रह गया।
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15 साल के नेतृत्व के बाद सिमटी कांग्रेस
आपको बता दे कि मणिपुर में लगातार तीन बार कांग्रेस ने राज किया था। ओकराम इबोबी के नेतृत्व में साल 2002 से लेकर 2017 तक लगातार 15 सालों तक कांग्रेस की सरकार रही। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का वोट शेयर कुछ कम जरूर हुआ, लेकिन 15 साल की एंटी इनकंबेंसी भी कांग्रेस का जलवा खत्म नहीं कर पाई और पार्टी ने सबसे ज्यादा 28 सीटें हासिल की।