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West Bengal assembly Elections 2021: बंगाल में इस बार टीएमसी को खेला खराब कर सकते हैं पीरजादा अब्बास सिद्दीकी

Published: Apr 07, 2021 10:26:01 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

बंगाल विधानसभा चुनाव में पीरजादा ने अपनी पार्टी बनाकर कई सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं। उन्होंने इस बार ममता बनर्जी को समर्थन देने की जगह वाममोर्चा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है। ममता बनर्जी को डर सता रहा है कि कहीं मुस्लिम समुदाय का वोट बंट नहीं जाए।
 

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नई दिल्ली।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal assembly Elections 2021) में तीन चरणों में 91 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। अब तक जिन सीटों पर वोटिंग हुई है, उनमें ज्यादातर तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माने जाते हैं। भाजपा इस बार यहां तृणमूल का किला ढहाकर कब्जा करने को बेताब दिख रही है। भाजपा वे सभी जुगत लगा रही है, जिनसे इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का खेल खराब हो सकता है।
वहीं, ममता को भी इस बात का अहसास हो चुका है कि इस चुनाव में मुस्लिम समुदाय का वोट बंट सकता है। इसको देखते हुए उन्होंने अपील की है कि मुस्लिम समुदाय के लोग उनकी पार्टी तृणमूल को ही वोट करें।
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तीसरे चरण में आठ सीटों पर आईएसएफ ने प्रत्याशी उतारे
इसी कड़ी में आईएसएफ यानी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी भी शामिल हैं। दरअसल, पीरजादा बंगाल में फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना हैं और आईएसएफ उनकी पार्टी है। तीसरे चरण में जिन 31 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई, उनमें से 8 सीट पर पीरजादा की पार्टी ने भी प्रत्याशी खड़े किए हैं।
मुस्लिम समुदाय में पीरजादा का महत्वपूर्ण स्थान
बता दें कि तीसरे चरण में जिन 31 सीटों पर वोटिंग हुई, उनमें से 29 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशियों ने पिछले विधानसभा चुनाव (वर्ष 2016) में जीत दर्ज की थी। यही नहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी करीब 85 प्रतिशत क्षेत्रों में तृणमूल को बढ़त हासिल हुई थी। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो बीते लोकसभा चुनाव तक ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को पीरजादा का समर्थन हासिल था। करीब दस साल पहले ममता बनर्जी जब 34 साल पुरानी वाममोर्चे की सरकार को हराकर सत्ता में आई थी, तब यह पीरजादा के समर्थन की बदौलत संभव हुआ था। ऐसा इसलिए, क्योंकि बंगाल के मुस्लिम समुदाय में पीरजादा काफी अहम स्थान रखते हैं। कहा यह भी जाता है कि वे जिस राजनीतिक दल को समर्थन देते हैं, मुस्लिम समुदाय उसे ही वोट करता है।
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भांगोर विधानसभा सीट से पीरजादा के भाई लड़ रहे चुनाव
गौरतलब है कि पीरजादा का हुगली में काफी अच्छा प्रभाव है। जंगीपारा विधानसभा सीट पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। इसके अलावा, दक्षिण 24 परगना की भांगोर विधाानसभा सीट से पीरजादा के भाई नौशाद खुद मैदान में हैं। आईएसएफ ने इस चुनाव में वामदलों और कांग्रेस के साथ गठबंधन वाले संयुक्त मोर्चा के बैनर पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। तीसरे चरण के मतदान के दौरान पीरजादा ने अपनी पार्टी की आठ सीटों के अलावा बाकी 23 अन्य विधानसभा सीटों पर खड़े गठबंधन वाले प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया है।
ममता बनर्जी को चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत
चुनावी विश्लेषकों की मानें तो इस चुनाव में मुस्लिम समुदाय ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को नहीं बल्कि, आईएसएफ और संयुक्त मोर्चा को वोट देगी। मुस्लिम समुदाय के इस रुख से ममता को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। मुस्लिम समुदाय के समर्थन से ही ममता अब तक भारी संख्या में जीत दर्ज कर रही थीं। इस बार मतुआ और मुस्लिम समुदाय दोनों ही ममता के साथ नहीं दिख रहे।
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294 सीट पर मतदान, 2 मई को रिजल्ट
बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों पर इस बार 8 चरण में मतदान हो रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 27 मार्च को थी, जबकि दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल और तीसरे चरण के लिए 6 अप्रैल को वोट डाले गए। वहीं, अब चौथे चरण के लिए 10 अप्रैल को, पांचवे चरण के लिए 17 अप्रैल को, छठें चरण के लिए 22 अप्रैल को, सातवें चरण के लिए 26 अप्रैल को और आठवें चरण के लिए 29 अप्रैल को वोटिंग होगी। नतीजे 2 मई को घोषित होंगे।
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