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वर्ष 2017 में सिद्धू भले ही इस सीट से चुनाव जीतकर कैबिनेट में जगह बनाने में सफल रहे हों, लेकिन इस बार उनके लिए अपने ही क्षेत्र के लोगों की नाराजगी बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
अधूरे वादे और अधूरे विकास कार्य वे वजहें हैं जिनसे जनता का सिद्धू पर रोष बना हुआ है। सिद्धू का गोद लिया गांव अब भी विकास के लिए टकटकी लगाए बैठा है। इसके अलावा अपने क्षेत्र का दौरा ना करना भी सिद्धू को बड़ा झटका दे सकता है।
सिद्धू को लेकर लोगों की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके लापता होने के पोस्टर इलाके में चस्पा कर दिए गए थे। यही नहीं ये भी कहा जा रहा है कि स्थानीय कार्यकर्ता भी सिद्धू की कार्यशैली से खुश नहीं है।
एक तरफ सिद्धू के लिए बिक्र मजीठिया चुनौती बने हुए हैं तो दूसरी तरफ सिद्धू के घोर विरोधी रहे और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नजर भी उनकी सीट पर बनी हुई है।
माना जा रहा है कि कैप्टन इस सीट पर अपनी पार्टी का प्रत्याशी खड़ा कर के सिद्धू की मुश्किल बढ़ाने वाले हैं।
सिद्धू के लिए ये सीट लक्की है। 2021 में जहां नवजोत कौर सिद्धू ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 7,000 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव जीता। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने 2017 का चुनाव 42,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
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