
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
वाराणसी. UP assembly elections 2022 में भले ही बीजेपी को बहुमत मिल गया हो, पर पार्टी को पूर्वांचल में बड़ा झटका लगा है। खास तौर पर छठवें और सातवें चरण के मतदान में। ये सब तब हुआ है जब बीजेपी पश्चिम और पूरब से खाली हो कर पूरी तरह से पूर्वांचल पर फोकस किया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इसी क्षेत्र में रहे। बावजूद उसके बीजेपी ने पूर्वांचल के इन दो चरणों में 15 सीटें खोईं जबकि समाजवादी पार्टी को इन दो चरणों में 27 सीटों पर फायदा पहुंचा। इसके अलावा कांग्रेस ने तिनकुहीराज से भले ही प्रदेश अध्यक्ष की सीट गंवा दी लेकिन फरेंदा सीट पर वीरेंद्र चौधरी ने जीत हासिल कर नफा-नुकसान बराबर कर दिया। जहां तक सवाल बीएसपी का है तो उसका खुद का खाता तो नहीं खुला पर दूसरों की हार-जीत में पार्टी ने अहम् भूमिका निभाई।
पूर्वांचल के दो चरण में बीजेपी गठबंधन के 67 तो सपा गठबंधन की 42 सीटें
यहां बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने पूर्वांचल के छठवें चरण में 40 सीट पर जीत का परचम लहराया था, जबकि इस बार उसे छह सीट का नुकसान हुआ और समाजवादी पार्टी गठबंधन को 11 सीट का फायदा पहुंचा। बात सातवें चरण की करें तो इसमें बीजेपी ने पिछली बार नौ जिलों की 54 में से 36 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार उसे 27 सीटें मिलीं यानी उसे 9 सीटों का नुकसान हुआ। वहीं समाजवादी पार्टी को 27 सीटें मिली हैं यानी 16 सीटों का मुऩाफा हुआ। अब छठवें और सातवें चरण को मिला कर पूर्वांचल में बीजेपी गठबंधन के 67 तो समाजवादी पार्टी गठबंधन के 42 सीटें हो गई हैं।
सुभासपा ने साबित की अपनी भूमिका
वहीं सुभासपा ने अपनी भूमिका एक बार फिर से साबित की है। बीजेपी गठबंधन से नाता तोड़ कर समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने ये साबित किया है कि पार्टी को जो सीटें पिछली बार मिली थीं वो बीजेपी के सहयोग के कारण नहीं थीं। अलबत्ता बीजेपी से नाता तोड़ने का उसे फायदा ही पहुंचा। आलम ये रहा कि गाजीपुर और आजमगढ़ में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला।
Published on:
11 Mar 2022 02:06 pm
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