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यूपी के 20 फीसद मुस्लिमों की चुप्पी हर राजनीतिक दल को कर रही हैरान

यूपी विधानसभा की 403 सीटों में करीब 130 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट यह फैसला करता है कि कौन जीतेगा। पश्चिमी यूपी, तराई और पूर्वी यूपी में कई ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 20 फीसद से अधिक हैं। ऐसे में भाजपा सहित यूपी के सभी दलों में मुस्लिम मतों को अपनी तरफ करने की होड़ है। लेकिन मुस्लिम मतदाता अभी मौन हैं।

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यूपी के 20 फीसद मुस्लिमों की चुप्पी हर राजनीतिक दल को कर रही हैरान

यूपी के 20 फीसद मुस्लिमों की चुप्पी हर राजनीतिक दल को कर रही हैरान

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। यूपी की 25 करोड़ आबादी में से 20 प्रतिशत मुसलमान हैं। मुस्लिम मतदाता इस बार किधर जाएगा यह अभी भविष्य के गर्त में है। यूपी विधानसभा की 403 सीटों में करीब 130 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट यह फैसला करता है कि कौन जीतेगा। पश्चिमी यूपी, तराई और पूर्वी यूपी में कई ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 20 फीसद से अधिक हैं। ऐसे में भाजपा सहित यूपी के सभी दलों में मुस्लिम मतों को अपनी तरफ करने की होड़ है। लेकिन मुस्लिम मतदाता अभी मौन हैं।

सत्ता की डगर बेहद कठिन

यूपी के मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए हर दल में मुस्लिम नेताओं की भरमार है। लेकिन किसी भी दल में मुस्लिमों का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां जेल में हैं। जबकि बाहुबली मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे नेता भी जेल की सींखचों के भीतर हैं।

मुस्लिम नुमाइंदगी के चेहरे

सपा में आजम खान व अहमद हसन के बाद मुस्लिम नेताओं की लंबी लिस्ट है। जिनमें पूर्व विधायक सिबातुल्ला अंसारी, पूर्व सांसद कादिर राणा, पूर्व विधायक शेख सुलेमान, असलम चौधरी, जाकिर अली, असलम राईनी और मुजतबा सिद्दीकी आदि शामिल हैं। कांग्रेस में सलमान खुर्शीद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े चेहरे है। भाजपा में मुख्तार अब्बास नकवी, वसीम रिजवी, मोहसिन रजा, बुक्कल नवाब आदि मुस्लिम नेता हैं। रालोद में पश्चिमी के कई बड़े नेता जयंत चौधरी के साथ हैं। जिसमें पूर्व विधायक नूर सलीम राणा, मौलाना जमील अहमद कासमी, पूर्व विधायक नवाजिश आलम, पूर्व सांसद अमीर आलम, शहनवाज राणा प्रमुख हैं। बसपा में इस वक्त तीन मुस्लिम सासंद सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान, अमरोहा से कुंवर दानिश अली और गाजीपुर से अफजाल अंसारी बड़े नाम हैं। मुस्लिम नेताओं में दो बड़े नाम मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद पूर्वांचल की कई सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। पर इस वक्त जेल में हैं।

चुनाव 2017 में मुस्लिम विधायक

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 में इस वक्त सिर्फ 25 विधायक मुसलमान हैं। चुनाव 2017 में 24 मुसलमान विधायक जीते थे और एक विधायक 2018 के उपचुनाव में जीता था। इनमें सबसे अधिक 18 विधायक समाजवादी पार्टी के हैं। बसपा के कुल 19 विधायकों में 5 मुस्लिम जीते थे जबकि कांग्रेस के जीते 7 विधायकों में से 2 मुसलमान हैं।

मुस्लिम बहुल्य जिले

मुस्लिम बहुल्य जिलों में पश्चिम यूपी के बरेली, पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, संभल, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, आगरा और अलीगढ़ जिले की विधानसभा सीटें शामिल हैं। पूर्वांचल में गोरखपुर, श्रावस्ती, जौनपुर, बस्ती, गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी, बहराइच, बलरामपुर, संतकबीरनगर, गोंडा, प्रयागराज और प्रतापगढ़ जिले की सीटों पर मुस्लिम वोटरों का बहुमत है।

मुस्लिम मतदाता की ताकत

यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। मुस्लिम वोटरों का सूबे की कुल 130 सीटों पर असर है। इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम जनसंख्या बीस से तीस फीसद है वहीं 73 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान करीब तीस फीसद हैं। यूपी की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार किसी का मुहं नहीं तकता है सिर्फ अपने दम पर फतह का पताका फैलाता है। 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता किसी को हरा सकता है।

मुस्लिमों की बात करने वाली पार्टियां

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी यूपी में मुस्लिम राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त उलेमा काउंसिल, मुस्लिम लीग, मुस्लिम मजलिस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, इंडियन नेशनल लीग, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया, परचम पार्टी और मुस्लिम सियासी बेदारी फोरम भी मुस्लिम हित चिंतक होने का दावा करती रही हैं। पूर्वी यूपी में पीस पार्टी के मोहम्मद कयूम भी कभी बड़ा वर्चस्व रखते थे।

संशय में मुस्लिम वोटर

चुनाव 2022 में मुसलमान किधर जाएगा यह पता नहीं। सपा मुस्लिम मतों की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही है। तो बसपा से मुस्लिमों का भरोसा कम हुआ है। कांग्रेस के पास सलमान खुर्शीद के अलावा कोई बड़ा नेता है। ऐसे में ओवैसी की पार्टी की लॉटरी लग गई है। ओवैसी यूपी में सपा-बसपा के ही वोट काटेंगे। मुस्लिम वोटों में बिखराव का फायदा भाजपा को ही मिलेगा। और पार्टी यही चाहती भी है। तीन तलाक पर कानून जैसे मुद्दों का लाभ भी भाजपा को मिल सकता है। प्रगतिशील मुस्लिम महिलाएंं भाजपा को वोट कर सकती हैं।

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