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UP Election 2022 : कुछ तो चल रहा है भाजपा-बसपा के बीच?

UP Election 2022 एक चैनल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बसपा सुप्रीमो मायावती की जमकर तारीफ की। जवाब में मायावती ने अपने अंदाज के विपरीत कहा कि, मैं समझती हूं कि यह उनकी महानता है कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया। इस बयानबाजी के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होनी शुरू हो गई, आखिर भाजपा-बसपा में चल क्या रहा है। सियासी जानकार इस तरीफ का गणित तलाश रहे हैं।

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UP Election 2022 : यूपी में तीन चरण का चुनाव बाकी,लगने लगा पोस्ट अलांयस का कयास

UP Election 2022 : यूपी में तीन चरण का चुनाव बाकी,लगने लगा पोस्ट अलांयस का कयास

(संजय श्रीवास्तव) यूपी में चौथे चरण के चुनाव के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बसपा सुप्रीमो मायावती की जमकर तारीफ की। इसके तुरंत बाद मायावती ने ट्विट किया। अमित शाह की महानता पर साधुवाद दिया। राजनीति के जानकार कहते हैं यह अमित शाह की चाणक्य नीति है। जो काम कर गयी। इसी के साथ कयासबाजी का दौर शुरू हो गया। चर्चाएं होने लगीं कि आखिर दोनों शीर्ष नेताओं की इस बयान के पीछे क्या निहितार्थ है। कहा तो यह जा रहा है कि चुनाव पूर्व नए गठबंधन और सहयोगियों की तलाश शुरू हो गयी है। यह इसी का नतीजा है।

...तो गलत जगह चले गए जयंत

तीन दिन पहले एक साक्षात्कार में अमित शाह ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के बारे में कहा था वह गलत जगह चले गए हैं। हालांकि, अमित शाह ने तब कहा था, भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है, ऐसे में भाजपा को जयंत के साथ पोस्टपोल अलायंस की जरूरत नहीं है। लेकिन अब मायावती की तारीफ कर एक तरह से भाजपा के चाणक्य ने पोस्ट अलायंस को हवा दे दी है।

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सपा ले सकती है कांग्रेस का सहयोग

अभी यह कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन, उप्र में चुनाव में किसी दल को पूर्ण बहुतम नहीं मिलता है तो भाजपा की सरकार बनाने के लिए कुछ मतों की जरूरत पड़ी तो परसेप्शन यही है कि मायावती भाजपा की स्वाभाविक सहयोगी हो सकती हैं। जयंत को भी तोड़ा जा सकता है। इसी तरह सपा के साथ कांग्रेस जा सकती है। निषाद दल और सुभासपा का अब तक इतिहास यही रहा है कि ये दोनों दल जरूरत के हिसाब से पाला बदलते हैं। निषाद पार्टी कभी सपा के साथ थी अब भाजपा के साथ है और सुभासपा भाजपा का साथ छोड़कर सपा के साथ आयी है।

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मौजूदा स्थिति यह

सपा ने जातीय आधार वाले करीब दस दलों का गठबंधन बनाया है। जिसमें ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, कृष्णा पटेल की अपना दल कमेरावादी और महान दल जैसी कई पार्टियां हैं। जबकि भाजपा के साथ अपना दल और निषाद पार्टी हैं।

यह कहा अमित शाह ने

मायावती ने अपनी पार्टी की प्रासंगिकता नहीं खोई है। उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा, लेकिन वोट मिलेगा। मायावती की जमीन पर अपनी पकड़ है। जाटव वोट उनके साथ जाएगा। मुस्लिम वोट भी बड़ी मात्रा में मिलेगा। आगे उन्होंने कहाकि, मुझे नहीं पता कि इससे भाजपा को फायदा होगा या नुकसान।

माया का यह रहा जवाब

मैं समझती हूं कि यह उनकी महानता है कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकारा है। पर मैं यह भी बताना चाहती हूं कि पूरे उत्तर प्रदेश में बसपा को अकेले दलितों और मुसलमानों का ही नहीं, बल्कि अति पिछड़े और सवर्ण समाज यानी सर्व समाज का वोट बहुजन समाज पार्टी को मिल रहा है।