
UP Election 2022 रुठे मतदाता कई जिलों में वोटिंग का बहिष्कार, कहीं विकास तो कहीं अन्ना प्रथा बना मुद्दा
यूपी विधानसभा चुनाव के तहत 23 फरवरी को नौ जिलों की 59 सीटों के लिए चौथे चरण की वोटिंग हुई। इन जिलों में कई जगह मतदाताओं ने सरकार की वादा खिलाफी और विकास न करने के खिलाफ मतदान का बहिष्कार किया है। इस सूचना पर अधिकारियों के कान खड़े हो गए। और किसी उपाय से अपने रुठे मतदाताओं की मनुहार करने लगे। कुछ माने तो कुछ ने मुंह मोड़ लिया। मतदान के बहिष्कार की कहानी शुरू होती है राजधानी लखनऊ के सढियामऊ बूथ संख्या 289 से। जहां पिछले 10 वर्षों से सढ़ियामऊ रेलवे क्रॉसिंग बंद है, जिससे महोली या जिला मुख्यालय जाने के लिए 8 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। जब तक क्रॉसिंग नहीं खुलती है मतदान का बहिष्कार करेंगे। पीठासीन अधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि यहां एक बूथ है जिसमें 916 मतदाता हैं। यह सिलसिला यहां नही रुका।
अन्ना प्रथा-अंडरपास बना बहिष्कार की वजह
बांदा के नरैनी विधानसभा के बूथ संख्या 58 में अन्ना प्रथा से परेशान दशरथ पुरवा के ग्रामीणों, पीलीभीत के इमलिया गांव में अंडरपास की मांग, सीतापुर के रामकोट थाना क्षेत्र के बंडिया गांव के ग्रामीणों ने विकास के मुद्दे पर मतदान का बहिष्कार किया।
विकास मुद्दे पर नाराजगी
सीतापुर की महोली विधानसभा की बूथ संख्या 145 और 289 पर भी विकास के मुद्दे पर मतदान का बहिष्कार किया गया है। उन्नाव के मोहान विधानसभा क्षेत्र की मिर्जापुर अझिगांव में सई नदी पर पुल न बनने से नाराज ग्रामीण ने मतदान के बहिष्कार का ऐलान किया। उन्नाव की कई विधानसभाओं में लोगों ने बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने की वजह से वोट करने से इनकार कर दिया। इनमें मल्झा, मिर्जापुर अझिगांव और पैगम्बरपुर गांव शामिल हैं।
वोट डालने के लिए नदी पार की
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में 350 से ज्यादा ग्रामीण मोहाना नदी पार कर वोटिंग करने के लिए पहुंचे। तिकुनिया इलाके में नदी पार करते हुए ग्रामीणों की तस्वीरें भी सामने आई हैं। लोगों ने बताया कि पोलिंग बूथ नदी के उस पार है। वे एक-एक वोट के महत्व को समझते हैं, इसलिए नदी पार कर वोटिंग करने के लिए पहुंचे हैं।
Updated on:
23 Feb 2022 07:32 pm
Published on:
23 Feb 2022 06:34 pm
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