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37 साल बाद योगी आदित्यनाथ ने दोहराया यूपी में इतिहास, 3 बड़े मिथक तोड़े

UP Assembly Election Results 2022 उत्तर प्रदेश में कई सालों बाद एक मिथक भी टूटा है। कि दोबारा सरकार में आना बड़ी मुश्किल होती है। लेकिन योगी आदित्यनाथ इस मिथक को तोड़ दिया न सिर्फ सरकार बनाई बल्कि दूसरी बार बड़ी जीत के साथ आए हैं। वहीं नोएडा जाकर भी एक मिथक तोड़ने मैने कामयाब हुए हैं।

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Mar 10, 2022

File Photo of CM Yogi Adityanath with BHagwa and Gulal

File Photo of CM Yogi Adityanath with BHagwa and Gulal

UP Assembly Election Results 2022 यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक नया इतिहास लिखा है। कई सारे मिथक भी तोड़े योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है। 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी करते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूणार्नंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती भी हासिल नहीं कर सकीं।

UP Elections Results 2022 दो अलग विधानसभाओं के लिए भी मिला मौका

यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूणार्नंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला।

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मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है। पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वैसे भी देश के राजनेताओं की सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले नंबर पर हैं।

करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं। इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं। चार महीने बाद ही दोबारा वह सिरमौर बने।

प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। सपा मुखिया अखिलेश यादव तो नोएडा जाने से परहेज करते रहे। नोएडा में उद्घाटन या शिलान्यास के कार्यक्रम को लेकर वहां जाने की जरूरत पड़ी, तो अखिलेश यादव ने नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया। इसके विपरीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए। उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर और भाजपा को बहुमत से साथ फिर सत्ता में वापसी करते हुए इस मिथक को तोड़ दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने जाने को लेकर भी नेताओं का मिथक तोड़ा है।

यूपी के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि नोएडा का यह मिथक वर्ष 1988 से शुरू हुआ था। वर्ष 1988 में राजनीति में सक्रिय नेता नोएडा जाने से बचने लगे, क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। तब वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वे नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई। नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए। कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वे कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं करा पाए। इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया।

राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्हें नोएडा में निर्मित एक फ्लाई ओवर का उद्घाटन करना था। पर, उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से उद्घाटन किया। अखिलेश यादव ने भी पांच साल मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाने से परहेज किया। जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। वह पांच वर्षों के कई बार नोएडा गए और उन्होंने ने नोएडा को कई सौगतें दी। मुख्यमंत्री ने दो सौ से ज्यादा जनसभाएं और रोड शो किए। एक दिन में सात सात जनसभाएं कीं।