
File Photo of Mayawati Duriing Assembly Elections 2022
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चौथे चरण की वोटिंग हो चुकी है। हर चरण में चुनाव बाद पार्टियों के निशाने पर कुछ चुनिन्दा नेता अक्सर रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती चुनाव रैलियों से दूर ट्विटर और सोशल मीडिया पर ही सक्रिय हैं। इन चुनावों में भाजपा लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर है। वहीं अखिलेश यादव भी भाजपा पर निशाना साधते दिखा रहे हैं। जबकि मायावती ने पहले चरण से लेकर अब चौथे चरण की वोटिंग तक सिर्फ 8 बार राजनैतिक बयान जारी जिसमें भी सिर्फ दो बार ही भाजपा सरकार पर कमेन्ट किया जबकि 6 बयानों में उन्होने समाजवादी पार्टी के गुंडा राज और भ्रष्टाचार से जनता को बचने की सलाह दी। अब सवाल यहाँ ये है कि मायावती ने भाजपा सरकार से ज्यादा विपक्ष में बैठी समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर ही निशाना साध रही है। लेकिन क्यों? क्या हैं इनके कारण जानते हैं पत्रिका की स्पेशल स्टोरी में।
मायावती की चुनावी रणनीति का हिस्सा भाजपा को बचाना
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी एक साधी हुई रणनीति के तहत ही इस बार भाजपा पर बयानबाजी कर रही हैं। हर बार बयान में सिर्फ अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के गुंडों से बचने की सलाह देती नज़र आती हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि क्या कोई अंदरुनी समझौता बसपा और भाजपा के बीच हो चुका है। या सरकार बनाने में ज़रूरत हो तो इस दोस्ती को भुनाया जा सके। वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट इस बात को भी कहते हैं कि मायावती के भाई आनंद की जांच को लेकर भी मायावती बैकफुट पर हैं।
2 बयानों में भाजपा पर वार, टॉप नेताओ पर नरमी का राज क्या है
मायावती की भाजपा पर वार को लेकर देखें तो पहले चरण के चुनाव से लेकर चौथे चरण के चुनाव तक सिर्फ 2 राजनीतिक बयानों में सधे हुए शब्दों शब्दों में भाजपा सरकार की आलोचना की। जबकि बाकी के 6 बयानों में सपा सरकार के माफिया और गुंडों पर ही बात की है। मायावती की इस नरमी के पीछे का कारण सभी जानना चाहते हैं। लेकिन उनको करीब से जानने वाले बताते हैं मायावती के रहस्यों को समझना भी इस बार सोशल इंजीनियरिंग का ही एक फोर्मूला बताया जा रहा है। पश्चिम से लेकर पूरब तक जिस तरह से उन्होंने टिकटों का बंटवारा हुआ है उससे ऐसा लगता है वह सधी हुई रणनीति के साथ आगे बढ़ रही हैं। मायावती आय से अधिक संपत्ति समेत कई केसों के मामले से भाजपा के दबाव में हैं, जिसकी वजह से उनको ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी झलक इस बात से मिलती है कि भाजपा के खिलाफ लगातार बोलने वाली मायावती ने पूरे चुनाव में भाजपा के बड़े नेताओं के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला है।
पहले, दूसरे और तीसरे चरण में मुस्लिम वोटो पर फ़ोकस इसलिए भाजपा से दूरी
पहले चरण की समाप्ति के बाद मायावती ने सिर्फ दो ट्वीट किए हैं। जिसमें एक उन्नाव में लड़की की हत्या के मामले में सपा नेता के खिलाफ है। वहीं, दूसरा- हिजाब मामले को मुद्दा न बनाने की अपील है। जबकि दूसरे चरण बसपा की ओर से जो बातें कही गई उसमें सिर्फ मुस्लिम वोटों को लेकर बात कही। लेकिन निशाना साफ साफ सपा पर रहा। जबकि चरण में भी सपा पर हावी रही मायावती ने भाजपा को सिर्फ किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर ही घेरा लेकिन प्रधानमंत्री, अमित शाह या योगी आदित्यनाथ किसी का नाम तक नहीं लिया। वहीं खास बात है कि चौथे चरण में उन्होने भाजपा पर झूलकर वार किया। इसमें भाजपा की कार्यप्रणाली और सरकार की महंगाई जैसे मुद्दे पर दिखावे जैसी बातें कहीं। कुछ एक्सपर्ट की मानें तो चौथे चरण में सबसे ज्यादा 15 सुरक्षित सीट होने की वजह से भी मायावती ने आक्रामक रुक अपनाया है।
बचे हुए तीन चरणों में भी सपा पर ही होगा निशाना
मायावती के ट्रेंड को देखकर लगता है कि अब बचे हुए पंचवे, छठवे और सातवे चरण में भी वो सपा पर ही हावी रहेंगी। क्योंकि यहाँ भी खतरा उन्हें अखिलेश यादव से ही है। जबकि भाजपा के लिए वो फ्रेंडली फाइट ही कर रही हैं। इन चरणों में मायावती ने कई सीटों पर भाजपा को सहायता बार बार प्रत्याशी बदले हैं। जिससे सपा को नुकसान और इनडायरेक्ट भाजपा को फाइदा होगा।
Updated on:
24 Feb 2022 07:23 am
Published on:
23 Feb 2022 11:50 pm
बड़ी खबरें
View Allचुनाव
ट्रेंडिंग
