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UP Assembly Elections 2022 : UP की सियासत में कभी निर्दलीयों का था दबदबा, जिन्होंने बचायी थी कल्याण सिंह की सरकार

UP Assembly Elections 2022 : यूपी की राजनीति में कभी निर्दलियों का दबदबा हुआ करता था। लेकिन राजनीतिक जागरुकता के कारण पिछले कुछ चुनावों से जीतने वाले निर्दलियों की संख्या में गिरावट आई है। इसलिए अब जिन विधायकों को उनके दल से टिकट नहीं मिलता वह निर्दलीय लड़ने की बजाए किसी छोटे दल में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरना ज्यादा अच्छा मानते हैं।

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लखनऊ

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Amit Tiwari

Feb 04, 2022

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UP Assembly Elections 2022 : उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक हुए हैं। लेकिन कभी यूपी की सियासत में अपना दबदबा कायम रखने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों के जीत का आंकड़ा चुनाव दर चुनाव घटता जा रहा है। आजादी के बाद यूपी में 1952 में पहले विधानसभा के चुनाव में राजनीतिक दलों के अलावा एक हजार से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी किस्मत आजमाई थी। इनमें से 14 प्रत्याशियों को जीत भी मिली थी। इसके बाद साल 1957 में हुए विधानसभा के चुनाव में 662 में से 74 चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, ये निर्दलीय उम्मीदवारों की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इतना ही नहीं साल 1997 में कल्याण सिह की सरकार अल्पमत में आ गयी थी, तो निर्दलीय विधायकों ने समर्थन देकर राज्य सरकार को बचाने का काम किया था। कल्याण सिंह सरकार में कई निर्दलीय तो मंत्री तक बन गए थे।

1957 में विधानसभा पहुंचे थे 74 निर्दलीय

इससे पहले 16वीं विधानसभा में केवल छह निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव जीत सके थें। इसी तरह साल 1957 में 662 में से सबसे ज्यादा 74 निर्दलीय विधानसभा का चुनाव जीते थे। साल 1962 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 694 में 31, साल 1967 के विधानसभा चुनाव में 1237 में से 37, वर्ष 1969 के चुनाव में 674 में 18, साल 1974 के चुनाव में 1522 में से 5, साल 1977 के चुनाव में 1976 में 16 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। इसी तरह वर्ष 1980 में 2221 में 16, 1985 में 3674 में 25, 1989 के चुनाव में 3579 में 40, 1991 के चुनाव में 4,898 में 7, 1993 के चुनाव में 6537 में 8, 1996 के चुनाव में 2031 में 13, 2002 के चुनाव में 2353 में 16, 2007 के चुनाव में 2581 में 9, तथा 2012 के चुनाव में 1780 में से 6 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।

2002 में जीते थे 14 निर्दलीय

वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्रों में से 14 में निर्दलीयों का परचम फहराया था। इनमें कैराना से मदन भैया, अनूपशहर से होशियार सिंह, सिकंदराराऊ से अमर सिंह यादव, फर्रूखाबाद से विजय सिह, राजपुर से महेश चंद्रा, रारी से धनंजय सिंह, मऊ से मुख्तार अंसारी, बरहज से दुर्गाप्रसाद मिश्रा, पिपराइच से जितेंद्र जायसवाल, मोहनलालगंज से आरके चौधरी, मलिहाबाद से कौशल किशोर, बरेली से शहजिल इस्लाम, पुवांया से मिथलेश कुमार और हसनपुर से देवेंद्र नागपाल जीते थे।

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2007 में 8 निर्दलीय पहुंचे थे विधानसभा

वर्ष 2007 में हुए विधानसभा के चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने विधानसभा की चौखट पर दस्तक दी थी। जिसमें से रायबरेली से अखिलेश सिंह, कुंड़ा से रघुराज प्रताप सिंह, बिहार (सु) से विनोद कुमार, सहजनवां से यशपाल सिंह, शिकोहाबाद से अशोक यादव, जसराना से राम प्रकाश यादव, मुरादनगर से राजपाल त्यागी और मुजफ्फराबाद से इमरान मसूद चुनाव जीते।

2012 में केवल 6 निर्दलीय ही जीते थे चुनाव

2012 के विधानसभा चुनाव मे जब यूपी में सपा की सरकार बनी तो निर्दलीय विधायकों की संख्या और कम हो गयी। इस विधानसभा में छह निर्दलीय ही विधानसभा तक पहुंच सके। जिनमें फर्रूखाबाद से विजय सिंह बाबागंज से विनोद कुमार, कुंड़ा से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, सकलडीहा से सुशील सिंह, सैयदराजा से मनोज कुमार व दुद्धी से रूबी प्रसाद ने जीत हासिल की थी।

2017 में आधी रह गई निर्दलीयों की संख्या

2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रदेश में 325 विधायकों की संख्या लेकर भाजपा की सरकार बनी तो तीन निर्दलीय प्रत्याशी ही विधायक बन सके। इस चुनाव में कुंड़ा से रघुराज प्रताप सिंह, बाबागंज (सु) से विनोद कुमार और गोरखपुर के नौतनवां से अमनमणि त्रिपाठी ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत पाये थे।