
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : आखिर क्यों बागी बन गए भाजपा के तीन मंत्री 11 विधायक, पढि़ए इनसाइड स्टोरी
शिव सिंह
लगभग पांच साल तक योगी सरकार के साथ रहे भारतीय जनता पार्टी के विधायक अचानक बागी क्यों होने लगे हैं। वे धुर विरोधी समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। सीतापुर सदर के विधायक राकेश वर्मा के बागी बनने से शुरु हुआ सिलसिला अभी थमा नहीं है जबकि 14 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान कैबिनेट मंत्री और डॉ.धर्म सिंह सैनी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार थे । विधायकों में रोशन लाल वर्मा, विनय शाक्य, भगवती प्रसाद सागर, ब्रजेश प्रजापति, राकेश वर्मा, माधुरी वर्मा, जय चौबे, आरके शर्मा, मुकेश वर्मा, बाला प्रसाद अवस्थी, अवतार सिंह भड़ाना आदि शामिल हैं। ये सभी भाजपा के सिंबल पर वर्ष 2017 में विधायक चुने गए थे।
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 की घोषणा के बाद से ही दल-बदलने का सिलसिला तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी के मानवविज्ञान विभाग के प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह की नजर मे ऐसे नेता अवसरवादी हैं। प्रोफेसर सिंह का कहना है कि इन्हें देश-समाज से कोई मतलब नहीं है, बल्कि वे खुद व परिजनों के लिए ही मलाईदार पद चाहते हैं, जब तक ये चीजें मिलती हैं, तब तक उस दल में रहते हैं और जब उन्हें लगता है कहीं और मिलेगा तो वहां चले जाते हैं।
यह भी पढ़ें : UP Election 2022: रालोद और सपा गठबंधन की पहली सूची जारी, देखिये किसको कहाँ से मिला टिकट
भाजपा से बगावत करने वालों में किसी का टिकट कट रहा था, किसी को भाजपा की विचारधारा पसंद नहीं थे। पढि़ए इन सभी विधायकों के बागी होने की इनसाइड स्टोरी-
1. स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य की करें तो वह भाजपा से पडऱौना से विधायक हैं। स्वामी प्रसाद की दिक्कत अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य को टिकट दिलाने को लेकर थी। भाजपा ने वर्ष 2017 के चुनाव में उत्कृष्ट को ऊंचाहार से टिकट दिया था। लेकिन वे सपा के मनोज पांडेय से हार गए। त्यागपत्र के पीछे चर्चा है कि उत्कृष्ट मौर्य को फिर से टिकट देने की मांग भाजपा को स्वीकार नहीं थी। उनकी नाराजगी की यही सबसे बड़ी वजह थी। इनकी बेटी संघमित्र मौर्य बदायूं से भाजपा की सांसद हैं।
2. दारा सिंह चौहान
योगी सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देते हुए भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा पूरे पांच साल अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। दारा सिंह चौहान भी बसपा के कद्दावर नेता रहे हैं और पिछले चुनाव में ही भाजपा में आए थे।
3.डॉ. धर्म सिंह सैनी
नकुड़ से वर्ष 2017 में भाजपा से विधायक बने थे। इसके पहले 2012 में बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचे थे। वे योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री थे और स्वामी प्रसाद मौर्य के खास लोगों में हैं।
4.विनय शाक्य
इटावा की विधूना सीट से भाजपा विधायक विनय शाक्य भी बागी हो गए हैं। उनकी बेटी रिया ने अपने पिता के अपहरण की आशंका जताई जबकि पुलिस ने इससे इनकार किया। विधायक शाक्य भी मौर्य के समर्थकों में गिने जाते हैं। वे बसपा के सिंबल पर वर्ष 2022 में विधूना से विधायक भी रह चुके हैं।
5.ब्रजेश प्रजापति
बांदा की तिंदवारी सीट से विधायक ब्रजेश कुमार प्रजापति स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा में आए थे। बांदा के एक भाजपा नेता का कहना है कि टिकट कटने के डर से ब्रजेश प्रजापति ने त्यागपत्र दिया है।
यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बालामऊ में भाजपा का कब्जा, बसपा-सपा भी कम नहीं
6.भगवती प्रसाद सागर
बिल्हौर से भाजपा विधायक भगवती प्रसाद सागर 2017 के चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा ज्वाइन की थी। अब मौर्य के साथ भाजपा छोड़ चुके हैं। इनकी पार्टी छोडऩे की वजह स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थक होना है।
7.रोशन लाल वर्मा
शाहजहांपुर की तिलहर विधानसभा सीट से विधायक रोशन लाल वर्मा को स्वामी प्रसाद मौर्य का बेहद खास माना जाता है। मौर्य का राजभवन तक त्यागपत्र ले जाने वाले रोशन लाल वर्मा की ही थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार जितिन प्रसाद को हराया था। लेकिन पार्टी रोशन लाल वर्मा को तवज्जो नहीं दे रही थी। संभव था कि इस बार तिलहर से टिकट भी न मिलता। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही उन्होंने आगे का रास्ता चुनने का फैसला किया।
8.माधुरी वर्मा
बहराइच जिले की नानपारा सीट से विधायक माधुरी वर्मा ने भाजपा से बगावत करते हुए समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली है। इनके पति दिलीप वर्मा सपा से विधायक रह चुके हैं। इनके रिश्ते भाजपा नेताओं ने काफी बिगड़ गए थे। माधुरी वर्मा को खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी।
9.राकेश वर्मा
सीतापुर सदर से विधायक राकेश वर्मा वर्ष २०१७ के चुनाव से ऐन पहले भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन जीतने के बाद से ही वर्मा के पार्टी से रिश्ते बिगडऩे लगे। वे बड़े नेताओं के खिलाफ बयानबाजी भी करने लगे। आखिरकार उन्होंने भाजपा को अलविदा कहते हुए समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
10.जय चौबे
खलीलाबाद के भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण चौबे (जय चौबे) पार्टी से बगावत कर सपा का दामन थाम चुके हैं। वे वर्ष २०१२ में इसी सीट से भाजपा से ही चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे।
11.राधाकृष्ण शर्मा
बदायूं जिले की बिल्सी विधानसभा सीट के विधायक राधाकृष्ण शर्मा भी भाजपा से बगावत कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। बड़े कारोबारी शर्मा को सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के जरिए सपा में लाया गया। माना जा रहा कि भाजपा से टिकट न मिलता देख शर्मा लंबे समय से भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों से दूर थे।
12.मुकेश वर्मा
शिकोहाबाद के विधायक मुकेश वर्मा ने भी भाजपा को छोड़ते हुए सपा में जाने के संकेेत दिए हैं। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपना नेता माना है। उन्होंने भाजपा पर दलितों, पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
13.बाला प्रसाद अवस्थी
लखीमपुर खीरी की धौरहरा सीट से भाजपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी भी अब सपा में चले गए हैं। इन्हें सपा के ही एक बड़े नेता ने अपने साथ लेकर सपा मुखिया से भेंट कराई। इनकी नाराजगी का बड़ा कारण टिकट कटने की संभावना बताई जा रही है।
14.अवतार सिंह भड़ाना
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने राट्रीय लोकदल की सदस्यता ग्रहण की। भड़ाना गुर्जर समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। वैसे किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए इन्होंने पिछले साल ही भाजपा छोड़ दी थी।
मकर संक्रांति के दिन ज्वाइन करेंगे सपा
भाजपा छोड़ चुके कई विधायक गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेताओं से भेंट की। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी ज्वाइन करेंगे।
सात चरणों में होंगे चुनाव
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सात चरणों में होंगे। मतों की गिनती 10 मार्च को होगी। चुनाव की घोषणा के बाद से ही दल बदल तेज हो गया है और टिकट को लेकर मारीमारी भी होने लगी है।
Published on:
13 Jan 2022 11:37 pm
बड़ी खबरें
View Allचुनाव
ट्रेंडिंग
