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Subhash Ghai ने शेयर कीं दिलीप कुमार से जुड़ी अनोखी बातें

बॉलीवुड के महान कलाकार दिलीप कुमार ( Dilip Kumar ) हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने निश्चित रूप से अपने प्रशंसकों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के बीच अपनी अनंत यादें छोड़ दी हैं। सुभाष घई ( Subhash Ghai ) ने शेयर की हैं दिलीप कुमार से जुड़ी अनोखी बातें।

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Shubhash Ghai shares interesting facts about Dilip Kumar

Shubhash Ghai shares interesting facts about Dilip Kumar

नई दिल्ली। फिल्म 'कर्मा' में दिलीप कुमार ( Dilip Kumar ) को निर्देशित करने वाले फिल्म निर्माता सुभाष घई ( Subhash Ghai ) ने शुक्रवार को खुलासा किया कि दिवंगत अभिनेता ने अपने जीवन में कभी भी किसी विज्ञापन का समर्थन नहीं किया था, सिवाय इसके कि उन्होंने एक पैसा भी नहीं लिया।

सुभाष घई ने ट्वीट किया, "दिलीप कुमार हमेशा अपने दोस्तों के साथ खड़े रहे .. अपने पूरे करियर में उन्होंने कभी कोई विज्ञापन नहीं किया। फिल्म इंडिया पत्रिका के संपादक बाबूराव पटेल एकमात्र अपवाद थे, जो प्राकृतिक चिकित्सा में भी थे। उन्होंने मित्र के रूप में अपने उत्पाद का मुफ्त में समर्थन किया।"

दिलीप कुमार ने 98 वर्ष की आयु में 7 जुलाई को मुंबई में अंतिम सांस ली। मुंबई के जुहू कब्रिस्तान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

दिलीप कुमार के अभिनय करियर की बात करें तो यह छह दशकों से अधिक समय तक चला था। उन्होंने अपने करियर में 65 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और 'देवदास' (1955), 'नया दौर' (1957), 'मुगल-ए-आजम' (1960), 'गंगा जमुना', 'क्रांति' (1981) और 'कर्मा' (1986) जैसी फिल्मों में अपनी प्रतिष्ठित भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं।

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उनकी आखिरी फिल्म 'किला' थी, जो 1998 में रिलीज हुई थी।

दिलीप कुमार के बारे में अनोखी बातेंः

बता दें कि दिलीप कुमार का असली नाम युसूफ खान था, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी ने उनका नाम बदलकर दिलीप कुमार रख दिया। साथ ही दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में हुआ था, जो अब पकिस्तान का हिस्सा है।

इतना ही नहीं दिलीप कुमार ने फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म ज्वार भाटा 1944 में रिलीज़ हुई। साल 1949 में आई फिल्म ‘अंदाज’ से दिलीप साहब को पहचान मिली। फिल्म ‘दीदार’ (1951) और ‘देवदास’ (1955) जैसी फिल्मों में दमदार भूमिकाओं निभाने के लिए उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा गया।

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दिलीप साहब ने 6 दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया। इन्हें काफी पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें से इन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। 1993 में उन्हें फिल्म फेयर लाइफटाइम अवार्ड भी मिला। इतना ही नहीं सबसे ज़्यादा अवार्ड पाने की वजह से उनका नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ किया गया।

साल 1983 में आई फिल्म ‘शक्ति’, ‘राम और श्याम’,’लीडर’, ‘कोहिनूर’, ‘नया दौर’, ‘दाग’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया।