फिल्म शुरू होती है आयशा चौधरी की वोइस ओवर से, जो कि पूरी फिल्म को नेरेट करती हैं, आयशा जब अदिति की कोख में होती है तभी से अदिति और नीरेन को ये पता होता है कि पैदा होने वाला बच्चा ज्यादा दिन नहीं जी पाएगा। इसके बावजूद दोनों ये डिसाइड करते हैं कि वो इस बच्चे को जन्म देेंगे और फिर पैदा होती है आयशा। आयशा के पैदा होने के साथ ही शुरू होता है उसके जीने का संघर्ष, जो कि सिर्फ उसका नहीं बल्कि उसकी पूरी फैमिली का होता है। आयशा के इलाज के लिए अदिति और निरेन बहुत कुछ करते हैं चाहे वो दिल्ली से लंदन जाना हो, लॉन्ग डिसटेंस रिलेशनशिप में रहना हो। दोनों आयशा को जिंदा और खुश रखने के लिए सब कुछ करते हैं।
ये फिल्म भले ही आयशा चौधरी पर बेस्ड हो लेकिन फिल्म में आपको उसके और उसकी फैमिली का ढेर सारा स्ट्रगल दिखाए देगा। ये जानते हुए कि उनकी बेटी ज्यादा दिन नहीं जी पाएगी लेकिन जितना जीए वो हंस के जीए।इसी खुशी के लिए पूरी फैमिली अपनी जी-जान लगा देती है। कहानी कभी आपको फ्यूचर तो कभी पास्ट में ले जाएगी। इसका सेकेंड हाफ काफी इमोशनल है।
प्रियंका चोपड़ा एक मां के रूप में कमाल की एक्टिंग करती हैं। एक मां के सारे जज्बातों को वो पर्दे पर बखूबी लाती हैं। इस फिल्म के द्वारा प्रियंका ने बॉलीवुड में शानदार कमबैक किया है। जायरा वसीम की ये शायद आखिरी फिल्म है, लेकिन उन्होंने जो एक्टिंग इस फिल्म में की है उसने एक गहरी छाप छोड़ी है। फरहान अख्तर जो कि एक बेहतरीन एक्टर हैं, वो भी पूरी तरह उम्मीदों पर खड़े उतरते हैं। सुरेश सराफ ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है। फिल्म की स्टारकास्ट की दमदार एक्टिंग के बदौलत ये फिल्म एक लेवल ऊपर उठ जाती है। मैं इस फिल्म को 5 में से 4 स्टार्स दूंगी।