इटावा. सरकार के द्वारा घोषित किये गए ओडीएफ इटावा जिले की असलियत अब खुल कर सामने आने लगी है। एशिया के सबसे पहले ब्लाक उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के महेवा ब्लाक के धर्मशाला गांव में शौचालय तो बनवाये नहीं गए, लेकिन इन शौचालयों का धन निकाल लिया गया। शनिवार को इस गांव के ग्रामीणों ने गॉव में शौचालय बनवाने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय का घेराव किया।
इटावा की भर्थना तहसील के महेवा ब्लॉक के धर्मशाला गांव के ग्रामीणों ने डीएम सेल्वा कुमारी जे के कार्यालय का घेराव किया। डीएम कार्यालय का घेराव करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव मे अब तक एक भी सरकारी शौचालय नहीं बनवाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पूरा गांव आज भी इस ओडीएफ जिले में खेतों में ही शौच के लिए जाता है। एक ग्रामीण ने बताया कि उसकी दिव्यांग पुत्र वधु को खेतों में शौच क्रिया करने जाने के लिये बेहद दिक्कत होती है। ग्रामीणों ने इस बात का भी खुलासा किया कि गांव में सरकार के शौचालय तो बने हैं लेकिन सिर्फ कागजों पर बने हैं जिनका धन भी निकाला जा चुका है।
इस मामले में जब डीपीआरओ रामबरन सिंह से बात की गई तो उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जब गांव में शौचालय बनवाये नहीं गए तो फिर शौचालय का धन रिलीज कैसे कर दिया गया।
ओडीएफ जिला घोषित होने से पहले इसका सर्वे करने एक टीम दिल्ली से व एक टीम लखनऊ से आई थी और इसी टीम की रिपोर्ट पर सरकार ने इटावा को सूबे का पहला ओडीएफ जिला घोषित किया था। देश में इटावा को ओडीएफ किये जाने के बाद आईएसओ प्रमाण पत्र खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों मिल चुका है। अब यहां यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर दिल्ली व लखनऊ से आयी टीम ने यह कैसा सर्वे किया था?