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मुलायम के भतीजे और सैफई महोत्सव के संस्थापक रणवीर सिंह यादव को पुण्यतिथि पर किया गया याद

रणवीर सिंह की 16वीं पुण्यतिथि पर समाधि स्थल पर आयोजित शांति यज्ञ में समाजवादी पार्टी के छोटे बड़े नेता जुटे

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ranvir singh yadav

मुलायम के भतीजे और सैफई महोत्सव के संस्थापक रणवीर सिंह यादव को पुण्यतिथि पर किया गया याद

इटावा. सैफई महोत्सव के संस्थापक रणवीर सिंह यादव की पुण्यतिथि में मनाई गयी। समाजवादी पार्टी के पुरोधा मुलायम सिंह यादव के दिवंगत भतीजे रणवीर सिंह सैफई के पहले ब्लॉक प्रमुख रहे हैं। उनकी 16वीं पुण्यतिथि पर समाधि स्थल पर आयोजित शांति यज्ञ में समाजवादी पार्टी के छोटे बड़े नेताओं के अलावा आसपास के तमाम समर्थक जुटे।

यह रहे मौजूद

इस मौके पर अभयराम सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रेम लता यादव, राजपाल सिंह यादव, रणवीर सिंह यादव के बेटे तेजप्रताप सिंह यादव, एमएलसी असीम यादव, सैफई के प्रधान दर्शन सिंह यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव, पूर्व चेयरमैन फुरकान अहमद, पूर्व जिला अध्यक्ष राजीव यादव मौजूद रहे।

पुण्यतिथि में नहीं दिखे इस बार रामगोपाल यादव

रणवीर सिंह की पुण्यतिथि पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव हर साल आते थे। लेकिन इस बार नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी को हार्ट अटैक आने के बाद मेदांता में नाजुक हालत में भर्ती होने के कारण आना संभव नही हो सका। मुलायम सिंह यादव के भतीजे और मैनपुरी के सांसद तेजप्रताप सिंह यादव के पिता रणवीर सिंह यादव का 13 नवंबर, 2002 मे असामियक निधन हो गया था। इसके बाद 2003 मे उत्तर प्रदेश मे मुलायम सिंह यादव की अगुवाई मे समाजवादी सरकार काबिज की गई थी।

महोत्सव का आयोजन रणवीर सिंह के नाम पर

सैफई महोत्सव की शुरूआत मुलायम सिंह यादव के दिवंगत भतीजे रणवीर सिंह ने बहुत छोटे स्तर से की थी। शुरुआत में सैफई महोत्सव में आसपास के गांव के लोग ही आते थे, लेकिन जैसे-जैसे सैफई महोत्सव का सफर आगे बढ़ता गया, यह भव्य रूप लेता गया। पहले महोत्सव बड़े-बड़े शहरों मे आयोजित किए जाते थे। जब सैफई में महोत्सव की शुरुआत हुई, तब यह लोगों के लिए कौतूहल भरा था। महोत्सव का मतलब है एक जगह पर कई लोगों की मुलाकात होना व उनका मनोरंजन होना। गांवों-देहातों में रहने वाले लोगों के पास पहले मनोरंजन के साधन नहीं होते थे। महोत्सव ही उनके मनोरंजन के साधन हुआ करते थे। रणवीर सिंह की आकस्मिक मृत्यु के बाद महोत्सव के आयोजकों ने इसे उनके नाम पर आयोजित करने का फैसला किया।