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यूपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने पीजीआई के डॉक्टर सहित तीन की सेवा समाप्त की

UP Medical University Saifai Etawah assistant professor terminated उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई इटावा के असिस्टेंट प्रोफेसर सहित तीन स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने का निश्चय किया गया है। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। ‌

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गिरफ्तार डॉक्टर (फाइल फोटो)

UP Medical University Saifai Etawah assistant professor terminated उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान संस्थान इटावा के हृदय रोग विशेषज्ञ सहित तीन स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। आरोपी डॉक्टर पेसमेकर घोटाले का मुख्य आरोपी है। जिस पर गुणवत्ता विहीन पेसमेकर लगाने का आरोप है। मामला 2017 का है। जब सैफई मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विभाग में पेसमेकर घोटाला सामने आया। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत होने के बाद विश्वविद्यालय में हलचल हुई और जांच में आरोप की पुष्टि हुई। आरोपी डॉक्टर और पेसमेकर सप्लाई करने वाले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पूरा मामला जानने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें।

यह भी पढ़ें: यूपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर कार्डियोलॉजी विभाग गिरफ्तार, मरीज को लगाता था डुप्लीकेट पेसमेकर

उत्तर प्रदेश के इटावा के आर्युविज्ञान संस्थान को लेकर बड़ा निर्णय लिया गया है। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की 12वीं कार्य परिषद की बैठक में बताया गया कि सहायक प्रोफेसर समीर सर्राफ ने गुणवत्ता विहीन पेसमेकर लगाया है। विधिक परामर्श के अनुपालन और उच्च अधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन भी किया है। संकाय अध्यक्ष फार्मेसी को अपनी योगदान आख्या भी नहीं दी है। जो सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1056 के विपरीत है। इसलिए उन्हें सेवा से हटाया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही रेडियोग्राफी टेक्नीशियन संजय प्रकाश अग्निहोत्री और कल्पना भार्गव की भी सेवाएं समाप्त करने का निश्चय किया गया है।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई थी शिकायत

पीजीआई सैफई इटावा के हृदय रोग संस्थान की  शिकायत 20 दिसंबर 2017 को मुख्यमंत्री पोर्टल पर हुई थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया था कि डॉ समीर सर्राफ ने 12 अगस्त 2017 को रोली सोमवंशी को पेसमेकर लगाया था। जो खराब था। मुख्यमंत्री पोर्टल पर मिली शिकायत की जांच के लिए तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर राजकुमार को जांच के आदेश दिए गए।

जांच रिपोर्ट में डॉक्टर दोषी पाए गए

17 मार्च 2030 को हुए आदेश की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई। 12 नवंबर 2020 को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें डॉक्टर समीर को दोषी बताया गया इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आदेश कुमार ने जनवरी 2022 में सफाई थाना में धर्म दर्ज करवाया। मुकदमा दर्ज होने के 7 नवंबर 2022 को सफाई थाना पुलिस ने डॉक्टर समीर सर्राफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

बैठक में बीएचयू आईएमएस निदेशक भी मौजूद

बीते रविवार को कुलपति प्रोफेसर डॉ प्रभात कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें प्रति कुलपति डॉक्टर रमाकांत यादव, प्रधानाचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूं डॉक्टर एनसी प्रजापति, आईएमएस निदेशक बीएचयू बनारस प्रोफेसर डॉक्टर एस एन संखवार, डीन डॉक्टर आदेश कुमार, कुलसचिव डॉक्टर चंद्रवीर भी मौजूद थे।