scriptआखर तीज (अक्षय तृतीया) पर नए मटके के पूजन का धार्मिक महत्व | Akshaya Tritiya 2020 : kalash Pujan Vidhan | Patrika News

आखर तीज (अक्षय तृतीया) पर नए मटके के पूजन का धार्मिक महत्व

Published: Apr 20, 2020 05:57:06 pm

Submitted by:

Shyam

26 अप्रैल रविवार को हैं अक्षय तृतीया का पर्व

आखर तीज (अक्षय तृतीया) पर नए मटके के पूजन का धार्मिक महत्व

आखर तीज (अक्षय तृतीया) पर नए मटके के पूजन का धार्मिक महत्व

इस साल 2020 में अक्षय तृतीया जिसे आखर तीज भी कहते हैं का पर्व रविवार 26 अप्रैल को मनाया जाएगा। शास्त्रों में अक्षय तृतीया के बारे में कहा गया है कि इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य बिना किसी मुहूर्त देखें सम्पन्न किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन नए मिट्टी के मटके का पूजन कर उसमें पीने के लिए पानी भरा जाने की प्राचीन परम्परा है। जानें अक्षय तृतीया के दिन क्यों किया जाता नए मटके का पूजन।

तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

नए मटके की पूजा इस लिए किया जाता है

जिस महीने में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है (वैशाख मास) में तब गर्मियों की चिलचिलाती धूप रहती है और धूप में ठंडा पानी गर्मी से सबसे ज्यादा निजात दिलाता है। आजकल अधिकतर लोग गर्मी में ठंडे पानी के लिए फ्रिज पर निर्भर है लेकिन कुछ लोग गर्मीयों में ठंडे पानी के लिए मिट्टी से बने मटकों का उपयोग ही ज्यादा अच्छा मानते हैं। शास्त्रों के अनुसार घर में लाए गए मटके का पूजन करना चाहिए क्योंकि मटके को कलश का प्रतिक माना जाता है, जिसमें तैतीस कोटी देवी-देवताओं का वास माना जाता है।

आखर तीज (अक्षय तृतीया) पर नए मटके के पूजन का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कलश के मूल में प्रजापिता ब्रह्मा का, कंठ में महादेव रुद्र का और मुख में भगवान विष्णु जी का निवास स्थान होता है। कलश पूर्णता का प्रतीक होता है और जिस घर में कलश की पूजा होती है। उस घर में सुख-समृद्धि और शांति सदैव बनी रहती है। साथ ही जल को वरूण देवता का रूप मानते हैं और जल को प्रत्यक्ष देवता भी कहा गया है। इन्हीं मान्यताओं के कारण गर्मीयों में पानी के मटके को कलश मानते हुए उसका पूजन किया जाता है ताकि उसका पानी पीने वाले के लिए अमृत के समान कार्य करें।

हनुमान जी की तस्वीर पर चढ़ा दें यह फूल, सिद्ध होंगे सब काम

मटके के पानी से रोग होते हैं दूर

मटके के पानी के सेवन से गर्मी में कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। जबकि फ्रीज के पानी से गले से संबंधित परेशानियां होने लगती है। इसीलिए यह परंपरा बनी रहे और लोग मटके के पानी का उपयोग हमेशा करते रहे। इसी उद्देश्य से अक्षया तृतीया (आखर तीज) के दिन नए मटके का पूजन करके उसी का पानी पीने की परम्परा बनी है।

********

ट्रेंडिंग वीडियो