
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन दोष निवारण मंत्र
Ganesh Chaturthi: चतुर्थी हर महीने में दो बार पड़ती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी तो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी मानी जाती है। इन दोनों तिथियों पर विघ्ननाशक गणेशजी की पूजा अर्चना कर व्रत रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद व्रत संपन्न किया जाता है। लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी पर आपने चांद देख लिया है तो धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह गणेश मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए। वर्ना झूठा आरोप लगता है…
ganesh chaturthi chandra darshan dosh nivaran: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी पर गणेशजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को गणेश चौथ भी कहते हैं। भक्त इस विनायक चतुर्थी को गणेश जन्मोत्सव तो मनाते ही हैं, विघ्न नाशक की कृपा पाने के लिए हर महीने की चतुर्थी तिथि पर व्रत उपवास कर पूजा अर्चना करते हैं।
हिंदू धार्मिक मान्यताएं भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी गणेश चतुर्थी और पार्वती नंदन भगवान गणेश के प्राकट्य दिवस पर चंद्र दर्शन पर रोक लगाती है। इस तिथि को विनायक चतुर्थी, गणेश चौथ भी कहते हैं। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र-दर्शन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष या झूठा कलंक लगता है। इस दिन चांद देखने वाले व्यक्ति पर चोरी का झूठा आरोप लगता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लिया था। इसके बाद उन पर जामवंत की स्यामंतक मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। इससे भगवान कृष्ण बहुत दुखी थे। इस पर नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान आपने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था उसी की वजह से आपको मिथ्या दोष का श्राप लगा है। देवर्षि नारद ने उन्हें इसके पीछे की गणेशजी की कथा भी सुनाई।
देवर्षि नारद ने भगवान कृष्ण को बताया कि प्राचीन काल में भगवान गणेश ने चंद्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चंद्र दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जाएगा (उस पर झूठा आरोप लगेगा) और वह समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जाएगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिए गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गए।
dosh nivaran Mantra: चतुर्थी तिथि के प्रारंभ और अंत समय के आधार पर चंद्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिए वर्जित हो सकता है। धार्मिक ग्रंथ धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चंद्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्जित होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचाव के लिए यह मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए…
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
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Updated on:
20 Aug 2024 07:55 pm
Published on:
20 Aug 2024 07:53 pm
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