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Ganesh Chaturthi 2019 : श्री गणेश जी की आरती

Ganesh Chaturthi : Ganesh ji Aarti : इस मनोकामना पूर्ति गणेश आरती को पंच मुखी दीपक से श्रद्धापूर्वक करने पर भगवान गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Aug 31, 2019

Ganesh Chaturthi : Ganesh ji Aarti in hindi

Ganesh Chaturthi 2019 : श्री गणेश जी की आरती

गणेश चतुर्थी का महापर्व 2 सितंबर सोमवार को है और इसी के साथ 10 दिवसीय गणेश उत्सव का प्रारंभ भी हो जाएगा। इस दौरान गणेश मंदिरों में, घरों में एवं गणेश जी की जहां-जहां अस्थाई रूप से स्थापना हुई है उन सभी झांकियों में भी भक्तजन सुबह एवं शाम को भाव पूर्वक गणेश जी की आरती वंदना करते हैं। इस मनोकामना पूर्ति गणेश आरती को पंच मुखी दीपक से श्रद्धापूर्वक करने पर भगवान गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं।

Ganesh Chaturthi 2019 : श्रीगणेश स्थापना का सटीक शुभ मुहूर्त एवं वैदिक शास्त्रोंक्त पूजा विधि

आरती से पूर्व इस स्तुति का उच्चारण जरूर करें।

व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येरुषु सवर्दा।।
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्।
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।

।। अथ श्री गणेश आरती- 1 ।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जा की पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।।

एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।।
अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।।

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥

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।। अथ श्री गणेश आरती- 2 ।।

गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विघ्न टरें।
तीन लोक तैंतीस देवता द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विरजे आनन्द सौं चंवर दुरें।
धूप दीप और लिए आरती भक्त खड़े जयकार करें॥

गुड़ के मोदक भोग लगत है मूषक वाहन चढ़े सरें।
सौम्य सेवा गणपति की विघ्न भागजा दूर परें॥
भादों मास शुक्ल चतुर्थी दोपारा भर पूर परें।
लियो जन्म गणपति प्रभु ने दुर्गा मन आनन्द भरें॥

श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुमरयां सब विघ्न टरें।
आन विधाता बैठे आसन इन्द्र अप्सरा नृत्य करें॥

देखि वेद ब्रह्माजी जाको विघ्न विनाशन रूप अनूप करें।
पग खम्बा सा उदर पुष्ट है चन्द्रमा हास्य करें।
दे श्राप चन्द्र्देव को कलाहीन तत्काल करें॥

चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज करें।
उठ प्रभात जो आरती गावे ताके सिर यश छत्र फिरें।
गणपति जी की पूजा पहले करनी काम सभी निर्विध्न करें।
श्री गणपति जी की हाथ जोड़कर स्तुति करें॥

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