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रंगोत्सव महापर्व होली के ठीक दूसरे दिन भाई बहन के पवित्र रिस्ते का भाई दूज 11 मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म शास्त्र की मान्यता के अनुसार भाई दूज वाले दिन बहनें अपने भाई की प्रगति, कुशलता और लंबी आयु की कामना से ईश्वर से करते हुए भाई का विधिवत पूजन करती है।
भाई दूज की कथा
पौराणिक धार्मिक कथानुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वतीया तिथि के दिन ही मृत्यु के देवता यमराज से उनकी बहन देवी यमुना ने एक वरदान मांगा था। देवी यमुना ने यमराज से कहा कि आज के दिन जो भी भाई पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उस भाई को कभी भी मृत्यु का भय न रहे। यमराज जी ने प्रसन्न होकर अपनी यमुना द्वारा मांगे वरदान को फलीभूत होने का आशीर्वाद दिया था, तभी भाई दूज पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।
भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
11 मार्च दिन बुधवार को भाई दूज पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सूर्योदय से लेकर शाम 3 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उक्त शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा की थाल में चावल, चंदन, कुमकुम, हल्दी, लाल कलावा, एक दीपक, मिठाई, सफेद रूमाल आदि रखकर, पूजन करें, माथे पर तिलक लगावें, सीधे हाथ की कलाई पर रक्षा कवच के रूप में लाल कलावा बांधे और आरती उतारें। पूजन के बाद से सदैव रक्षा का संकल्प लेकर उन्हें मिठाई खिलावें।
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