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बगलामुखी जयंती 2021: ऐसे करें देवी माता को प्रसन्न, रोग के साथ ही शत्रुओं से भी मिलेगी मुक्ति

वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि…

May 20, 2021 / 10:39 am

दीपेश तिवारी

Baglamukhi Jayanti

Baglamukhi Jayanti 2021

हिंदू कैलेंडर में वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती आती है। इस दिन विधि विधान से मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन मां बगलामुखी की आराधना से जुड़े कुछ विशेष उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

ऐसे में इस वर्ष आज यानि गुरुवार, 20 मई 2021 को मां बगलामुखी जयंती मनाई जा रही है।Baglamukhi mata का एक अन्य नाम देवी पीताम्बरा भी है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में जिन दस महाविद्याओं 1. काली 2. तारा 3. षोड़षी 4. भुवनेश्वरी 5. छिन्नमस्ता 6. त्रिपुर भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला का उल्लेख मिलता है। इनमें भी मां भगवती श्री बगलामुखी का महत्व विशेष माना गया है।

बगलामुखी जयंती 2021 शुभ मुहूर्त-
गुरुवार, 20 मई 2021 को 11.50 मिनट से 12.45 मिनट तक।

मंत्र
– ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।

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जानकारों के अनुसार इस मंत्र में अद्‍भुत प्रभाव है। इसको 1 लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है। जाप की संपूर्णता के बाद दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है। अधिक सिद्धि के लिए 5 लाख जाप भी किए जा सकते हैं। वहीं यह भी मान्यता है कि मां बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता और सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

क्या करें बगलामुखी जयंती के दिन?
इस संबंध में केबी शक्टा के अनुसार इस दिन पीले वस्त्र धारण करें। साथ ही देवी के विग्रह या यंत्र की स्थापना भी करनी चाहिए। इसे अलावा इस दिन देवी मां को अपनी इच्छानुसार भोग अवश्य लगाएं। इसमें भी संभव हो तो भोग में पान, मिठाई, फल और पंचमेवा भी रखें। देवी मां को इस दिन खास तौर से पीले कनेर के फूल चढ़ाने चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन देवी मां को चने की दाल चढ़ाने से नजर दोष दूर Signals हो जाता है। बाद में इस दाल को किसी गरीब को दान कर देना चाहिए।

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देवी मां बगलामुखी की पूजा के दौरान ये सावधानियां अवश्य रखें…
– ब्रह्मचर्य का पालन करें। एक समय भोजन करें। पीले वस्त्र धारण करें। बाल नहीं कटवाए। दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें। मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें। साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
– साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।
– साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाए। वहीं यदि सक्षम हों तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।

चमत्कारी चालीसा

मान्यता के अनुसार पूरी श्रद्धा, विश्वास के साथ माता बगलामुखी की इस चमत्कारी चालीसा का पाठ जो भक्त जयंती के दिन केवल 2 बार दोनों संध्याओं में करता है तो, मां उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करने के साथ उनके शत्रुओं का भी नाश कर देती है।

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।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।

1- नमो महाविधा बरदा, बगलामुखी दयाल।
स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल।।
नमो नमो पीताम्बरा भवानी, बगलामुखी नमो कल्यानी।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी, नमो महाविधा वरदानी।।

2- अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा।

स्वर्ण सिंहासन पर आसीना, पीताम्बर अति दिव्य नवीना।।
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे, सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला।।

 

3- भैरव करे सदा सेवकाई, सिद्ध काम सब विघ्न नसाई।
तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा।।
तुम काली तारा भुवनेशी, त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी।
छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी।।

4- सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन।।
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता।
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता।।

 

5- मुद्गर शिला लिये अति भारी, प्रेतासन पर किये सवारी।
तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम हित कल्यानी।।
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुध्दि नाशकर कीलक तन को।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके।।

6- चोरो का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद विवाद न निर्णय पावे।।
मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे।।

 

7- सुमरित राजव्दार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर।।
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक।।

8- तुमको सदा कुबेर मनावे, श्री समृद्धि सुयश नित गावें।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दुःख दारिद्र विनाशक माता।।
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता, शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता।
पीताम्बरा नमो कल्यानी, नमो माता बगला महारानी।।

 

9- जो तुमको सुमरै चितलाई, योग क्षेम से करो सहाई।
आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो।।
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया।।

10- जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुँ निवारा।
नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता।।
सोम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो।।

 

11- नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता।।
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल।।

।। इति श्री बगलामुखी चालीसा समाप्त।।

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