
जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी ओडिशा 2024
Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ का अर्थ जगत के नाथ यानी भगवान विष्णु से है। भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर ओडिशा के पुरी में है, जिसे हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है। मान्यता के अनुसार हर व्यक्ति को अपने जीवन में एकबार जगन्नाथ मंदिर का दर्शन जरूर करना चाहिए। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं।
साल में एक बार इन्हें विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद रथ से मौसी के घर गुंडीचा मंदिर लाया जाता है। इसी परंपरा को जगन्नाथ रथ यात्रा के नाम से जानते हैं। इसमें शामिल होने के लिए पुरी लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इससे पहले 15 दिनों के लिए भगवान का मंदिर बंद कर दिया जाता है। आइये जानते हैं कब निकाली जाएगी रथ यात्रा, भगवान के रथ का नाम और रथयात्रा का सारा विवरण….
जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए भव्यता से तीन रथ बनाए जाते हैं। इस यात्रा में सबसे आगे बलभद्र रथ पर सवार होते हैं, उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ और सबसे आखिर में भगवान जगन्नाथ रथ में सवार होते हैं। बता दें कि बलभद्र के रथ को ‘तालध्वज’, सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ और भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदी घोष’ या ‘गरुड़ ध्वज’ के नाम से जाना जाता है। हर साल यह पर्व लाखों श्रद्धालुओं, सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुरी रथ यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है और नगर भ्रमण करते हुए भगवान जगन्नाथ गुंडीचा माता मंदिर में जाते हैं। कुछ दिन यहां लौटकर फिर घर लौटते हैं। इसके लिए रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं द्वारा गुंडीचा मंदिर को धुला जाता है।
इस परंपरा को गुंडिचा मार्जन कहा जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया की शुरुआत 7 जुलाई रविवार को सुबह 4.28 बजे से हो रही हौ और इस तिथि का समापान 8 जुलाई सोमवार 5.01 बजे तक हो रहा है। इसलिए उदया तिथि में द्वितीया 7 जुलाई को मानी जाएगी और रथ यात्रा 7 जुलाई को निकाली जाएगी।
कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गर्भगृह से बाहर निकालकर स्नान कराया जाता है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ इसके कारण बीमार हो जाते हैं और 15 दिनों के लिए आराम करने के लिए चले जाते हैं। इस समय मंदिर बंद भक्त दर्शन करने की मनाही होती है। उसके बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन ठीक होकर बाहर निकाला जाता है और यात्रा निकाली जाती है।
मान्यता है कि ओडिशा में भगवान कृष्ण के रूप में विराजमान भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से 00 यज्ञों के बराबर पुण्य का फल प्राप्त होता है। इस यात्रा में भाग लेने से और भगवान के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Updated on:
11 Jun 2024 04:08 pm
Published on:
11 Jun 2024 04:06 pm
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