
कब है धूमावती जयंती
Dhumavati Jayanti 2024: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती की सातवीं शक्ति महाविद्या का अवतार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी पर हुआ था। इसलिए भक्त इस तिथि पर धूमावती जयंती मनाते हैं। यह तिथि इस साल शुक्रवार 14 जून को पड़ रही है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सभी प्रकार की शक्तियों की प्राप्ति के लिए महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ऋषि दुर्वासा, भृगु, परशुराम की मूल शक्ति माता धूमावती ही हैं। माता पार्वती के इस स्वरूप का प्राकट्य पापियों के नाश के लिए हुआ था। इसलिए मां धूमावती की पूजा शत्रु पर विजय दिलाती है। मान्यता है कि घनघोर दरिद्रता से मुक्ति के लिए देवी धूमावती की पूजा करनी चाहिए। प्रसन्न होने पर मां धूमावती सभी प्रकार के रोगों से भी मुक्ति प्रदान करती हैं।
ग्रंथों में मां धूमावती को एक कुरूप वृद्ध विधवा के रूप में दर्शाया जाता है, जो अशुभ और अनाकर्षक वस्तुओं से संबंधित हैं। ये कोई आभूषण नहीं धारण करतीं और पुराने गंदे वस्त्र पहने रहती हैं। इनके बाल भी व्यवस्थित नहीं रहते। इन्हें दो हाथ के साथ चित्रित किया जाता है। देवी अपने कांपते हाथों में एक सूप रखती हैं और उनका अन्य हाथ वरदान मुद्रा यानी ज्ञान प्रदायनी मुद्रा में होता है। वरदान और ज्ञान प्रदायनी मुद्रा को क्रमशः वरद मुद्रा और ज्ञान मुद्रा के रूप में जाना जाता है।
महाविद्या धूमावती बिना अश्व के रथ पर सवारी करती हैं, जिसके शीर्ष पर ध्वज और प्रतीक के रूप में कौआ विराजमान रहता है। माना जाता है कि देवी सदैव भूखी-प्यासी रहती हैं और कलह उत्पन्न करती हैं। इनके स्वभाव की तुलना नकारात्मक गुणों की सूचक देवी अलक्ष्मी, देवी ज्येष्ठा और देवी निऋति से की जाती है। लेकिन विशेष अवसर पर इनकी पूजा शुभ फलदायक है।
प्राणतोषिणी तंत्र की कथाओं के अनुसार एक बार देवी सती ने प्रचंड भूख से अतृप्त होने के कारण भगवान शिव को निगल लिया। इसके बाद भगवान शिव के अनुरोध के बाद देवी ने उन्हें मुक्त तो कर दिया, लेकिन इस घटना से गुस्साए भगवान शिव ने देवी का परित्याग कर दिया और उन्हें विधवा रूप धारण करने का श्राप दे दिया। इससे इस रूप में माता का ऐसा ही विकराल रूप रहता है।
ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा॥
Updated on:
11 Jun 2024 12:12 pm
Published on:
11 Jun 2024 12:07 pm
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